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मुशिनी टीका २०३ २०१४ चौरा कि फल प्रानुरन्तीतिनिरूपणम् ३२३ फुरतउरकडग-मोडणेहि सबद्धाय नीससता सीमावेढ ऊरुचालबप्पडगसधिवधग तत्तसलागसूड आकोडणाणि तच्छण विमाणणागि य सारकडुय तितनावणजायणकारण-सयाणि वहुयाणि पावियंता, उरघोडीदिगगाढपेल्लण-अधिकसंभग्गसपंसुलिया-गलकालक-लोहदंड-उर-उदर वस्थि पिट्टि-परिपी लिया मत्थंतहियय-सचुणियंगुवंगा आणत्ति कि करोहि केडअविराहि य वेरिएहि जमपुरिससनिभेहिं पहया ते तत्थ मदपुण्णा चडवलावह पहपोराच्छिवा कसलत्तवरत्तवेत्तपहारसयतालियंगुवगा किवणालयतवम्मवणवेयणविमुहियमणाघणकोहणनियलजुपल-सकोडियमोडिया य कीरति निरुच्चारा असचरणा एया अपणाय एवमाईओ वेयणाओ पावा पावंति ॥ सू० १४॥
टीका-पूर्वोक्ता. मन्दपुण्याः 'सपुडस्वाड-लोहपजर-भूमिवरनिरोहकमचारग कीलगज्वचक्कविततवपणखभालणब्दचलगवरणविदम्मणाहिय विहेडिवा' तर 'सपडक्वाड '-सम्पुटरुपाट - पिहितकपाट लोहपतर तथा 'भूमिवर' भूमिगृह भूमेरन्त ह 'भोरा' इति भापा प्रसिद्धच तर यो 'निरोह । निगेधा= प्रवेशन, तथा 'कृव' कृप.अन्यप , 'चारग' चारक. अन्टिगृह 'फीलग'
फिर वे क्या फल पाते हैं ? सी कहते हैं-'मपुडकबाट' इत्यादि। - टीकार्य-ये चोरजन (मपुडकवाड लोहपजर-भूमिपरनिरोह-कृव चारग कीलग-जूयचवितनवधण-खभालण-उद्धचलणधण-विहम्मणाहिय विडियता) (सपुडकवाडोहपजर) द ह कपाट-युगल जिन्हों के ऐसे लोह के पिंजरों में तथा (भूमिघरनिरोह ) तलपरों में बढ कर दिये जाने... हैं, (कूव ) अधकृप में पटक दिये जाते है, (चारगकीलग) । यी यु ३० भणे ते भूत्र - -"मपुटकवादलोहजर"
साथ-ते याराने “मपुडकबाटलोहपार' Pavu atढाना सभा, तथा “ भूमिधरनिरोह " सायमा ही हेवामा सावे, “ मधारीया पाभा 42 पाभा भावे, “चारगकीला " शुद्धमा हो