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२३ नारकीय जीव क्या २ कहते है वह वर्णन
१०६-१०८ २४ परमाधार्मिक नारकीय जीरों के मति क्यार करते है
उनका कथन " २५ ॥ वेदनाओं से पीडित नारक जीवों के आक्रद का निरूपण १११-११७ २६ परमाधार्मिकों के द्वारा की गई यातनाओं के प्रकार का . निरूपण
११७-११८ २७ यातना के विषय मे आयुधों (शखों) के प्रकारों का निरूपण ११९-१२१ २८ परस्पर में वेदना को उत्पन्न करते हुए नारकी यों कि दशा का वर्णन
१२१-१२७ २९ नारक जीवों के पश्चात्ताप का निरूपण
,१२८-१३० ३० तिर्यग्गति जीवो के दुःखों का निरूपण
१३१-१३६ ३१ चतुरिन्द्रिय जीवों के दुःख का निरूपण
१३७-१३८ ३२ त्रिन्द्रिय जीवो के दु ख का निरूपण
१३८-१३९ ३३ द्विन्द्रिय जीवों के दुःख का वर्णन ३४ एकेन्द्रिय जीव के दुःख का वर्णन
१४१-१४४ ३५ दुखों के प्रकार का वर्णन
१४५-१५१ ३६ मनुष्यभव मे दुःखों के प्रकार का निरूपण
१५२-१६३ दूसरा अध्ययन ३७ अलीकवचन का निरूपण
१६४-१६८ ३८ अलीकवचन के नाम का निरूपण
१६८-१७४ ३९ जिस भाव से अलीक वचन कहा जाता है उसका निरूपण १७४-१७९ ४० नास्तिकवादियों के मत का निरूपण
१८०-२०५ ४१ अन्य मनुष्यों के मृपामापण का निरूपण
२०६-२१४ ४२. मृपावादियों के जीव पातक वचन का निरूपण
२१५-२४१ ४३ मृपावादियो को नरक प्राप्तिरूप फलमाप्ति का वर्णन २४२-२५२ ४४ अलीक वचन का फलितार्थ निरूपण
२५३-२५६
अभ्ययन
४५ अदत्तादान के सरूप का निरूपण
२५७-२६१