________________
D
--
૨૮૨
प्रभव्याकरण तथा 'पहरत' मरियमाणा प्रहारे व्याप्रियमाणा ये गुन्ता:मला तोमराव'मुरज' इति भाषा प्रसिद्धाः 'चा' चक्राणि 'गया'गढा मसिद्धाः 'परमु' परमवः =कुटारा तथा मुसला प्रसिद्धा' 'लगल' लागलानि-लानि शलानिलोहास्त्रविशेपा 'लउड' रगुढान्यष्टयः 'मिडिपार' भिन्दिपालमा गोफण' इति ख्याताः 'सयल ' इतिशतविशेषाः 'पहिम' पहिगा: महमभेदाः 'चम्मेद्व' चर्मेष्टाः चर्मपद्धपापागमयास्त्रविगेपाः 'घण' घना: अयोचनाः 'घण' इति भापा मसिद्धा ' मोहिया' मौप्टिमा मुप्टिममाणाखविगेपाः मोग्गर ' मुद्गराध
प्रतीताः 'परफलिह ' परपरिधा' लोहरद्वलगुडाः 'जतपत्थर' यन्त्र प्रस्तरागोफणादि यन्त्रपाषाणाः 'दुहण ' द्रुघणा मुद्गरविशेषाः, तोणा! तूणीरा'कुन्तों से-भालों से, (तोमर) तोमरों से-मुरजों से (चक)चक्रोंसे (गया) गदाओं से, (परसु) परशुओं से-कुठारों से (मुमल) मुसलों से, (हल)हलो से, (सूल ) शलों से, (लउड ) लकुटों-(लाठियो) से (भिडिपाल) भिदिपालो से-गोफणों से, (सरल) सबलों से (सन्चल) यह शस्त्र विशेप है जो अग्रभाग में तीक्ष्ण ऐसा लोहे का डडा होता है, (हिन्दी में भी इसे सबल ही करते हैं ) (पहिस) पटिशोसे-भाले के आकार जैसे एक प्रकार के शस्त्रों से, चर्मेष्टों से-चर्मवद्धपापाणमय अस्त्रविशेपों से (घण) घण-लोरपिंड, इसे भाषा में भी घण कहत हैं घणों से, (मोटिय ) मौष्टिकों से-मुष्टिप्रमाण अस्त्रविशेषां स. (मोग्गर ) मुद्गरों से, (वरफलिह । वरपरिघों से लोहरद्ध लाठियास (जतपत्थर ) यत्र प्रस्तरों से, गोफण आदि यत्रों से, फेके गये पत्थरा से, (दुघण) द्रुघणो से एक प्रकार के मुद्गर विशेपो से, (ताण ) तोमरथी-शुलथी, “ चक्क" यहीथी, ‘गया" महासाथी, परसु" पशु साथी, " मुसल" भुसणाथी, हल" गोथी, "सूल" त्रिशूगोथी, “लउड" माहीमाथी, “ भिडिपाल " लिहा ( थी, “सब्बल" ममवाथा, (તે એક શસ્ત્ર છે તે લેઢાના દડા જેવું હોય છે અને તીક્ષણ અવિષ્ણુ डाय छ तेने गुसतीभा श )" पहिस" शाथी ( पहिश मासाना આકારનું શસ્ત્ર હોય છે) ચમેંટેથી (ચર્મ બદ્ધ પાષાણુ મહા અસ્ત્ર વિશે शाथी ) "घण" घशुथी, “ मोट्ठिय" भौटिलीथी ( भुष्टि प्रभाए PAR (२. "मोग्गर" भगायी, “वरफलिह" १२ परिघोथी-( सोडng सीमाथा "जतपत्थर" यत्र प्रस्तरोथी ( माह साधनाथी या पथ्थराधी) "दुघण" धाथी (मे २ना भगवाथी) " तोण" त.
TITLEGETATE