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प्रश्नव्याकरण खिलभूमिनल्छराणि क्षेत्राणि असिद्धानि पिलभूमया हाफप्टममयः वहगणिक्षेत्रविशेपाच तानि 'उत्तणवणमाडाई उत्तणघनमस्टानि-तत्रउत्तण उगतः धामः घनम् अतिशय सम्टानियापनियानि तानि 'इज्जतु'दान्ता भस्मीभूतानि क्रियताम् । भरखा' रक्षा' 'गडिज्जतु ' मुज्यन्ता = मूलत उन्मूल्यन्ताम् । 'जताइ' यन्त्राणि = तिलेशुरापपादिपीडनयन्त्राणि 'भिज्जत ' मिन्दन्तु । किमर्थमित्याह-'भाडाइस भाण्डास्पि -भाण्डपात्रादे 'उहिम्म' उपधःउपकरणस्य 'कारणाए ' कारणाप-प्रपोजनाय । तथा 'यहुरिहस्म' बहुवियस्य 'अनेकप्रकारस्य 'अद्वाए 'अर्थायरल्यमाणायोजनम्य 'मिद्धय 'उच्च दक्षव 'दुज्जतु' द्यन्ता-डियन्ता 'तिलाय ' निलाच 'पीलिज्जतु' पीचन्ता-निप्पी उयन्ता यन्त्र । तथा मम 'घरस्तुए' गृहार्थाय गृहनिर्माण योजनाय 'इट्टयाओ' इष्टकाः= ईट' इति प्रसिद्धा 'पचायेह' पाचयत । 'सेत्ताय कसह कसावेह' नौकर चाकरों से कास फराओ चे (गाणा पणा) गहन वनों को, (खित्तखिलभूमिबलराइ) खेतों को, लाकृष्टभूमिको-वल्लरों-सेतविशेषा को (उत्तणघणसाडाइ ) घास आदिले व्याप्त है, (उज्जतु) उनमें आग लगाकर वहाकी भूमिको साफ करें (कम्पा सूडिज्जतु) वहा जितने भी वृक्ष खडे हो उन्हें जडमल से उखाड़ डालें (जताइ भिन्नत तिल इक्षु आदि के पीलनेके यत्रोंको ये चीर फाड़ डालें कि जिससे ( भांडारहस्स उबहिस्स कारणाए) भाउ पात्र आदि उपकरण बनाये जा सकें । तथा (बहुविस्म अहाए उच्च दुज्जतु ) अनेक विध प्रयोजना की सिद्धि निमित्त ये इक्षु-गन्ना को काटे, (तिला य पीलिज्जतु घरट्ट याए) तिलों को पानी मे पिले तपा (इयाओ पयावेर) गृह निर्माण के लिये ये ईटों को पकाचे, (खेत्ता य कसह कसावेह) खेतों का जोतें व जुतवावे = हाकना और इकवाना चोकना और चोकवाना
४२ या ३१ पासे आम रावो, 'गहणाइ वणाइ” गहन वनान, "सित्तसिलभूमि वल्लराइ" भेत, पदरी (2 जानु जेत.) २उत्तणघणसकडाइ" घास माहिया छपाये छ, “ डज्झतु " तेमा मा न ते भानन सा५ ४२।।, " रुस्वा सूडिउनतु " या २८मा वृक्षो छ भने भूगमाया उमेडी नाणी, “जताइ भिज्नतु" तस, शेठी ALE पासवान। यत्राने तमा तहसी ना थी " भाटाइयस उबहिस्स कारणाए" als, पात्र म साधना मनापी डाय तथा “ वहुविहस्स अट्टाए उन्छ दुज्जतु" मन: ४२ प्रयासननी साता भाटे ते शे२डीने जपे “ तिलाय पीलिज्जतु घरट्याए" तसने घाम पाले, तथा " इयाओ पयावेह" ५२ पापवान भाट 2 पावे, “ खेत्ता य कसह कसावेह" मेत। मेरे मन मेवे, तथा