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एवं ससणिद्धाए पुढवीए० ॥३३-४२॥
जे भिक्खू पडिग्गहाओ पुढवीकार्य नीहरेइ नीहरावेइ नोहरियं आहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥४३॥ एवं आउकार्य० ॥४४॥ तेउकार्य० ॥४५॥
एवं कंद-मूल-पत्त-पुप्फ-फल-बीय-हरियकार्य०॥४६-५२॥ ओसहिवीयं ॥५३॥ तसपाणजाय ॥५४॥
जे भिक्खू पडिग्गई कोरेइ कोरावेइ कोरियं आहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जड ॥५५॥
जे भिक्खू णायगं वा अणायगं चा उवासगं वा अणुवासगं वा गामंतरंसि वा वा गामपहंतरंसि वा पडिग्गह ओभासिय ओभासिय जायइ जायंतं वा साइज्जइ ॥५६॥
जे भिक्खू णायगंवा अणायग वा उवासग वा अणुवासगं वा परिसामज्झओ उहवेत्ता पडिग्गह ओभासिय ओभासिय जायइ जायंतं वा साइज्जइ ॥५७॥
जे भिक्खू पडिग्गहनीसाए उबद्धं वसइ, वसंतं वा साइज्जइ ॥५८॥ जे भिक्खू पडिग्गहनीसाए वासावासं वसइ वसंतं वा माइज्जइ ॥५९॥ तं सेवमाणे आवजइ चाउम्मासियं परिहारहाणं उग्धाइयं ॥६०॥ ॥ णिसीइज्झयणे चउद्समो उद्देसो समत्तो ॥१४॥
॥ पञ्चदशोद्देशकः ॥ जे भिक्खू भिक्खूणं आगाहं वयइ वयंत वा साइज्जइ ॥१॥ जे मिक्खू भिक्खूणं फरुसं वयइ वयंत वा साइज्जइ ॥२॥ जे भिक्खू भिक्खूणं आगाढफरुसं वय वयंतं वा साइज्जइ ॥३॥
जे भिक्ख भिक्खूण अण्णयरीए अच्चासायणाए अच्चासाएइ, अच्चासाएं तं वा साइजइ ॥४॥
जे भिक्खू सचित्तं अब भुंजइ भुजतं वा साइज्जइ ॥५॥ जे भिक्ख सचित्तं वं विडंसह विडंसंत वा साइज्जइ ॥६॥
जे भिक्खू सचित्तं अंवं वा अंवपेसियं वा अवभित्तं वा अंवसालगं वा अंबचोयगं या झुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥७॥
जे भिक्खू सचित्तं अंचं वा अंवपेसियं वा अवमित्तं वा अंवसालगं वा अंबचीयगं वा विडंसइ विडंसंत वा साइज्जइ ॥८॥
जे भिक्खू सचित्तपइडियं अंवं भुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥९॥ जे भिक्खू सचित्तपइट्ठियं अब विडंसइ विडंसंतं वा साइज्जइ ॥१०॥