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________________ ॥ द्वादशोदेशकः ॥ जे भिक्खू कोलुणवडियाए अण्णयरं तसपाणजाई तणपासएण वा मुंजपासएण वा कपासएण चा चम्मपासएण वा वेत्तपासएण वा मुत्तपासएण वा रज्जुपासएण वा बंधइ वंधत वा साइज्जइ ॥१॥ जे भिक्खू कोलुणवडियाए अण्णयरं तसपाणजाई तणपासएण वा मुंजपासपण वा कठपासएण वा चम्मपासएण वा वेत्तपासएण वा मुत्तपासएण वा रज्जुपासएण वा वल्लगं मुंबइ मुंचतं वा साइज्जइ ॥२॥ जे भिक्खू अभिक्खणं अभिक्खणं पच्चक्खाण मंजइ भंजंतं वा साइज्जइ ॥३॥ जे भिक्खू परित्तकायसंजुत्तं आहारं आहारेइ आहारतं वा साइजह ॥४॥ जे भिक्खू सलोमाई चम्माई धरेइ धरेतं वा साइज्जइ ॥५॥ जे भिक्खू तणपीढगं वा पलालपीढगं छगणपीढगं वेत्तपीढग वा परवत्थेणोच्छन्नं अहिटेइ अहिडेतं वा साइज्जइ ॥६॥ जे भिक्खू णिग्गंथीण संघाडि अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा सिवावेह सिन्धावते वा साइज्जइ ||७|| जे भिक्खू पुढवीकायस्स वा आउकायस्स वा अगणिकायस्स वा वाउकायस्स वा वणस्सइकायस्स वा कलमायमवि समारभइ समारभंतं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू सचित्तरुक्खं दूरूहइ दूरुहंतं वा साइज्जइ ॥९॥ जे भिक्खू गिहिमत्ते भुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥१०॥ जे भिक्खू गिहिवत्थं परिहेइ परिहतं वा साइज्जइ ॥११॥ जे भिक्खू गिहिनिसेज्ज वाहेइ वा वा साइज्जइ ॥१२॥ जे भिक्खू गिहितेइच्छं करेइ करेंतं वा साइज्जइ ।।१३।। जे भिकाबू पुरेकम्मकडेण इत्थेण वा मत्तेण वा दबीए वा भायणेण वा असण वा पाणं वा खाइमं वा साहम वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेतं वा साइज्जह ॥१४॥
SR No.009348
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages541
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size32 MB
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