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________________ अणुपाएज्ज वा अणुग्घासतं वा अणुपाएतं वा साइज्जइ ॥७९॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णतरं तेइच्छं आउदटइ आउदृतं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अमणुन्नाई पोग्गलाई नीहरेइ नीहरतं चा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए मणुन्नाई पोग्गलाई उवकिरइ उवकिरंतं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नयरं पसुनायं वा पक्खिजायं वा पायंसि वा पक्खंसि वा पुच्छंसि वा सीसंसि वा गहाय संचालेइ संचालत वा साइ. ज्जइ ॥८३॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नयरं पसुजायं वा पक्खिजायं वा सोयंसि कटं वा किलिंचं वा अंगुलियं वा सलागं वा अणुप्पवेसित्ता संचालेइ संचालेतं वा साइज्जइ ।।८४॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नयरं पसुजाय वा पक्खिजाय वा 'अयमिस्थि'-त्ति कटु आलिंगेज्ज वा परिस्सएज्ज वा परिचुंबेज्ज वा आलिंगंतं वा परिस्सयंत वा परिचुंवतं वा साइज्जइ ॥८५॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देइ देंते वा साइज्जइ ॥८६॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥८७॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए वत्थं वा पडिग्गहं वा कंवलं वा पायपुंछणं वा वा देइ देंतं वा साइज्जइ ॥८८॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए वत्थं वा पडिग्गहं वा कंवलं वा पायपुंछणं वा पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥८९॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए सज्झायं वाएइ वाएंत वा साइज्जइ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए सज्झायं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥११॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णयरेणं इंदिएणं आकारं करेइ करतं वा साइज्जइ ॥१२॥ तं सेवमाणे आवज्जड चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्घाइयं ॥९॥ । निसीहज्झयणे सत्तमो उद्देसो समत्तो ॥७॥
SR No.009348
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages541
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size32 MB
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