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________________ एवं ससणिदेण० २ ॥४१॥ ससरक्खेण. ३ ॥४२॥ मट्टियासंसटेण० ४ ॥४३॥ ओसा० ५ ॥४४॥ लोण० ६ ॥४५॥ हरियाल० ७ ॥४६॥ मणोसिला० ८॥४७॥ वण्णिय० ९ ॥४८॥ गेरुय० १० ॥४९॥ सेढिय० ११ ॥५०॥ हिंगुलुय० १२ ॥५१॥ अंजण० १३ ॥५२॥ लोद्ध० १४ ॥५३॥ कुक्कुस० १५ ॥५४॥ पिठ. १६ ॥५५॥ कंद० १७ ॥५६॥ मूल० १८ ॥५७॥ सिंगवेर० १९ ॥५८॥ पुष्फग० २० ॥५९॥ कुट्ठगसंसदठेण वा २१, एगवीसभेएण हत्थेण वा मत्तेण वा दवीए वा भायणेण वा असणं वा ४ पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥६०॥ जे भिक्खू गामारक्खयं अतीकरेइ अत्तीकरेंतं वा साइज्जइ ॥६१॥ एवं सो चेव रायगमओ भाणियन्चो ॥६२-६४॥ एवं देसरक्खयं० ४ ॥६८॥ एवं सीमारक्खयं०४ ॥७२॥ एवं रन्नारक्खयं०४ ॥७६॥ एवं सन्चारक्खयं० ४ ॥८॥ जे भिक्खू अण्णमण्णस्स पाए आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा, आमज्जंतं ना पमज्जंतं वा साइज्जइ ॥८॥ एवं तइयउद्देसगमो भाणियन्चो (८२ से १३५ जाव जे भिक्खू गामाणुगाम दुइज्जमाणे अण्णमण्णस्स सीसदुवारियं करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥१३६॥ जे भिक्खू साणुपाए उच्चारपासवणभूमि ण पडिलेहेइ, ण पडिलेहेत वा साइज्जइ ॥१३७॥ जे भिक्खू तो उच्चारपासवणभूमीओ ण पडिलेहेइ ण पडिलेहेंतं वा साइ. ज्जइ ॥१३८॥ जे भिक्खू खुड्डागसि थंडिलंसि उच्चारपासवणं परिहवेइ, परिहवेंतं वा साइज्जइ ॥१३९॥ जे भिक्खू उच्चारपासवणं अविहीए परिहवेइ, परिहवेतं वा साइज्जइ ॥१४०॥ जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिहवेत्ता न पुंछइ, न पुंछत वा साइज्जइ ॥१४॥ जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिहवेत्ता कटेण वा किलिंचेण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा पुंछइ पुछतं वा साइज्जइ ॥१४२॥ जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिहवेत्ता णायमइ, णायमंतं वा साइज्जइ ॥१४३॥
SR No.009348
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages541
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size32 MB
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