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. ...... .. श्रीवीतरागाय नमः।
॥निशीथसूत्रस्य मूलपाठः॥
॥ प्रथमोद्देशकः ॥ . जे मिक्खू हत्थकम्मं करेइ करतं वा साइज्जइ ॥१॥
जे भिक्खू अंगादाणं कटेण वा किलिंचेण वा अंगुलियाए वा सिलागाए वा संचालेइ संचालत वा साइज्जइ ॥२॥
जे भिक्खू अंगादाणं संवाहेज्ज वा पलिमद्देज्ज वा संवाहतं वा पलिमहंत वा साइज्जइ ॥३॥
जे भिक्ख अंदादाणं तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा णवणीएण वा अभंगेज्ज वा मक्खेज्ज वा, अभंगेंतं वा मक्खेत वा साइज्जइ ॥४॥
जे भिक्खू अंगादाणं कक्केण वा लोरेण वा पउमचुण्णेण वा हाणेण वा सिणाणेण वा चुण्णेहि वा उबटेइ परिवठूइ उन्वस॒तं वा परिवस॒तं वा साइज्जइ ॥५॥
जे भिक्खू अंगादाणं सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोवेज्ज वा उच्छोलंतं वा पधोवंतं वा साइज्जइ ॥६॥
जे मिक्खू अंगादाणं णिच्छलेइ णिच्छलंतं वा साइज्जइ ॥७॥ जे भिक्खू अंगादाणं जिग्घइ जिग्धंत वा साइज्जइ ॥८॥
जे भिक्खू अंगादाण अण्णयरंसि अचित्तंसि सोयंसि अणुप्पवेसित्ता मुक्कपोग्गले णिग्याएइ णिग्यायंतं वा साइज्जइ ॥९॥ . जे भिक्खू सचित्तं गंधं जिग्घइ, जिग्धंतं वा साइज्जइ ॥१०॥ .
जे भिक्खू सचित्तपइट्टियं गं, जिग्घइ जिग्यंत वा साइज्जइ ॥११॥ ... । जे भिक्खू पदमाग: वा संकर्म वा अवलंबणं चा अण्णउत्थिएण वा- गारस्थिएण वा कारेइ कारंतं वा साइज्जइ ॥१२॥
जे भिक्खू दगवीणियं वा अण्णउत्थिएहिं वा गारथिएहिं वा कारेइ कारेंतं वा साइज्जइ ॥१३॥ - जे भिक्खू सिक्कगं वा सिक्कगणंतगं वा अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा कारेइ कारेंत वा साइज्जइ ॥१४॥