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प्रकाशिका टीका-सप्तमवक्षस्कारः सू. २६ मासपरिसमापकनक्षत्रनिरूपणम् ४३९ 'गोयमा' हे गौतम ! 'तिणि णक्खत्ता गति' नीणि नक्षत्राणि नयन्ति परिसमापयन्ति, तानि कानि त्रीणि नक्षत्राणि तबाह-'तं जहा' इत्यादि, 'त जहा त्यधा-'चित्ता साई विसाहा' चित्रा स्वाती विशाखा, 'चित्ता चउद्दस राइंदिशई णेई' चित्रानक्षनं ग्रीष्मकाविकद्वितीयस्य वैशाखमासस्य प्राथमिकानि चतुर्दश रात्रिंदिवं नयति-परिसमापयति 'साई पण्णरस राई दियाई णेई' स्वाती नक्षत्रं वैशाखमासस्य माध्यमिकानि पञ्चदशरात्रिंदिवं नयति परिसमापयति विसाहा एग राई दिवंणेई' विशाखानक्षत्रं वैशाखमासस्य चरममेकं रात्रिदिवं नयति-परिसमापयति तदेतानि त्रीणि चित्रा स्वाती विशाखानक्षत्राणि मिलित्वा वैशाखमासं परिसमापयन्ति अतएव विशाखया परिसमापना दस्य मास्य वैशाख इति नाम भवति । 'तयाण अटुंगुलपोरिसीए छायाए सरिए अणुपरियह तदा वैशाखमासे खल्लु अष्टाङ्गुलपौरुज्या छायया सूर्योऽनुपर्यटते-अनुपरागत वे इत्यर्थः । एतदेव दर्शयति-तस्स णं मासंस्स' इत्यादि, 'तस्स णं मासस्स जे से चरिये दिवसे' तस्य खलु वैशाखमासस्य योऽसौ चरमः के द्वितीय मास वैशाख मास को तीन नक्षत्र समाप्त करते हैं 'तं जहा' उन नक्षत्रों के नाम इस प्रकार से हैं-'चित्ता, साई, विसाहा' चित्रा, स्वाति और विशाखा, इसमें 'चित्ता चपस राइंदियाइं गेह' चित्रा नक्षत्र ग्रीष्मकाल के बैशाख मास के प्राथमिक १४ रातदिनों को समाप्त करता है "साई पण्णरस राइंदियाई गेइ' स्वाति नक्षत्र वैशाख मास के माध्यमिक १५ दिनों को समास करता है 'विसाहा एग राइदिवं णेई' और विशाखा नक्षत्र अन्त के एक दिनरात को समाप्त करता है इस तरह से येतीन नक्षत्र मिलकर वैशाखमास को समाप्त करते हैं, विशाखा नक्षत्र द्वारा अन्त में परिसमाप्त होने के कारण इस मास का नाम वैशाख ऐसा हुआ है। 'तयाणं अटुंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियहइ' वैशाखमास के अन्तिम दिन में आठ अंगुल अधिक पौरुपीरूप छाया से युक्त हुआ सूर्य परिभ्रमण करता है इसी अभिप्रायसे सत्रकारने 'तस्स गं मास. गौतम ! श्रीमाना भीत भास वैशामभासने न नक्षत्र समास ४ छ 'तं जहा तमना नाम मा प्रमाणे -'चित्ता साई विसाहा' fian ild 2 विशा , सभा 'चित्ता चउद्दस राइंदियाइं णेइ' at नक्षत्र श्रीभाना वैशासमासना प्राथभिः १४ रातहिसान समास ४रे छ. 'साई पण्णरस राइंदियाई णेइ' स्वाति नक्षत्र वैशामना माध्यभि १५ हिसान सभात ४२ छ. 'विसाहा एगं राइं दिवं णेई' भने विशामाना નક્ષત્ર અન્તના એક દિવસરાતને સમાપ્ત કરે છે. આ રીતે આ ત્રણે નક્ષત્ર મળીને વૈશાખમાસને પરિસમાપ્ત કરે છે, વિશાખા નક્ષત્ર દ્વારા અન્તમાં પરિસમાપ્ત હોવાના કારણે मा भास नाम वैशाप से प्रभारी श्यु छे. 'तयाणं अटुंगुलपोरिसीए छायाए सुरिए अणुपरियट्टइ' वैशामभासना मन्तिम से मा8 मin म४ि पौ३५।३५ छायाथी यत थये सूर्य परिसमा ४२ छे, मा मनिप्रायथी ४ सारे 'तस्स णं मासस्स जे से