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जम्मूछीपप्रक्षमिसूत्र प्राकारः मघानक्षत्रस्य प्राकारसंस्थानं भवति इति । 'पलिके' पल्याङ्क:-पूर्वफालानीनक्षत्र स्याईपल्यङ्कसंस्थानं भवति, एवमुत्तरफाल्गुनीनक्षत्रस्यापि अद्धपल्यसंस्थानमेव भवति, एतदर्द्धपल्यङ्क द्वयमीलनेन परिपूर्णः पल्यको भवति अर सूत्रे 'पलियंके' इति कथितमिति । 'पत्थे हस्तः रस्तनक्षत्रस्य हस्तसंस्थानं भवतीति । 'मुहफुल्लए चेव' मुखफुललकं चैत्र, चित्रा नक्षत्रस्य मुखमण्डनसुवर्णपुष्पसंस्थानं भवति 'खीलग' कीलकम् स्वाती नक्षत्रस्य कील संस्थान भवति 'दामणि' नामनी विशाखा नक्षत्रस्य पशुज्जु संस्थान भनति 'एगावली' एकावलिः, अनुराधा नक्षत्रस्यकावलि संस्थानं भवति 'गजदंत' गजदन्तः ज्येष्ठा नक्षत्रस्य गजदन्तवत् संस्थानं भवति 'विच्छय अलेय' वृश्चिकलागुलम् मननक्षस्य वृश्चिकस्य लागुलवत् संस्थानं भवतीति, 'गयविक्कमेय' गजविक्रमच, पूर्वापाढा नक्षत्रस्य गज. का जैसा संस्थान होता है वैसा है 'पलियंक' पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र का संस्थान अपलंग का जैसा संस्थान होता है वैसा है इसी तरह का संस्थान उत्तर फाल्गु. 'नीनक्षत्र का है। ‘हत्थे हस्तनक्षत्र का संस्थान हाथ का जैसा संस्थान होता है वैसा है 'मुहफुल्लएनेव' चित्रानक्षत्र का संस्थान मुख के मण्डन भूत सुव. णपुष्पका सोना-जुही का जैसा संस्थान होता है वैसा है 'खीलग' स्वातिनक्षत्र का संस्थान जैसा कीलक का संस्थान होता है वैसा है 'दामणि' विशाखा नक्षत्र का संस्थान पशुबांधने की रस्सी का जैसा संस्थान होता है वैसा है 'एगावली' अनुराधा नक्षत्र का संस्थान एकावली नामका हार का जैसा संस्थान होता है वैसा है। 'गजदंत' ज्येष्ठा नक्षत्र का संस्थान हाथी के दांत का जैसा संस्थान होता है वैसा है 'विच्छ य अले य' :मूल नक्षत्र का संस्थान जैसा विच्छ्र की पूछ का संस्थान होता है वैसा है 'गयविकमेय' पूर्वाषाढा नक्षत्र का संस्थान हाथी के विक्रम का-पैर का जैसा संस्थान होता है वैसा है 'तत्तो य सिंह मार डाय छ तेडाय छे. 'पागारे' भयानक्षत्रनु संस्थान प्रा२नु र संस्थान डाय छे ते छ. 'पलियंक' शगुनी नक्षत्रन मात्ति अर्थ २वी डाय छ આ જ પ્રકારને આક ર ઉત્તરફાગુની નક્ષત્રને છે “ હસ્ત નક્ષત્રની આકૃતિ હાથના भा॥२ वी डाय छे 'मुहफुल्लए चेव' भित्रा नक्षत्रनी भाति भुगताउनभूत सुपधु०पना सानानुनि से मार डाय छे. 'खीलग' राति नक्षत्रनी आइतिवी सनी मानिहाय छ तेना की डाय छ 'दामणि' विशामानक्षत्रनी माति २ मांधवाना हमारे २ छोय छे. तेवा प्रा२नी डाय छे. 'एगावली' अनुराधा नक्षत्रनी गति
Iqel नामना हरनावा मार है।य छ तनावी जाय छ 'गजदंत' 108 नक्षत्रनी माति हीना तिना वो मा२ सय छ । प्रा२नी डाय छ 'विच्छ य अलेय' भूसननी विना पूछीना मार डाय छ तवा ४२नी डाय छे. 'गयविक्कमे જે પૂર્વાષાઢા નક્ષત્રની આકૃતિ હાથીના પગને જેવો આકાર હોય છે તેવા આકારની હોય છે.