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________________ जम्बूद्वीपप्राप्ति म ! पत्रिम पारिंग ये.मनानि, शिन एकपष्टिभागान् योजनस्य A amtiran निकामागान् चन्द्रमडलस्य चन्द्रमण्डलस्यामाधा 13 दमददं पल भदन्त ! कियता आयामविष्कम्भेण, कियता पीर बान्न प्राप्तम् ? गौतम ! पञ्चाशदेपष्टिभागान् योजनस्य भिनित सपिग परिसंपेग अष्टाविंशतं चैकपष्टिभागान् योजनस्य १ न.13 . १२॥ :- डा पनना' कानि-क्रियत्संख्यकानि खलु भदन्त ! चन्द्र बरसानानिमितानीति चन्द्रमाउलांच्याविषयमा प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' द. मागोनम : 'पानरमनंदमंडला पानता' पञ्चदशसंख्यकानि चन्द्रस्य मगर. मानि-गानि । ___मिनाह से १५ अनुयोग छारों द्वारा सूर्य की प्ररूपणा की गई है उसी पत्रकार भयमा प्राप्त चन्द्र प्ररूपणा भी करते हैं इस में ७ अनु. यापार (१) या प्राणाहै (२) मंडलक्षेत्र प्ररूपणा है (३) प्रतिमंडल मला अगाइ (१) मंरल अयामादिकामान है (4) मन्दरपर्वत को लेकर प्रमादिली की मामा , (६) मर्यायान्तर मंडलों का आयामादि है " भंते ! नंद मंदला पन्नत्ता'-इत्यादि -गीतमयानी ने इम न माग प्रभु से ऐसा Jला है-कण मते! पदानसा' ६ भदन्न! पन्द्रमण्डल फितने कहे गये हैं ? इसके उत्तर 1-गोपमाः नसा गंदमंडला पन्नता है गौतम! १५ मन्द५. गर्ग है। आप गौतनत्यानी ने प्रनु से गमा पूला है-जंदवणं भन्न : या गोमाहिसा हेपणा द मला पन्नता दे भदन्त ! जम्नवीप २. ३ मा त प्राय ६ . . ५५ ५३३७. म नुबा (1) .. .... . .. . (1) Alieon २ प्राण *. ... ... .. २५२a Giri .. ...ite' . ' ' 01 ... -' :: . .. ... ' : ३६. 30 तासाना ४T-4- !१५
SR No.009347
Book TitleJambudwip Pragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages569
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size46 MB
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