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________________ २१६ जम्बूतिसूत्रे भूमिभागाओ हामिगाउसभतुरगणरमगर विहगवालग किंनररुरुसर भचमरकुंजरवणलय पउमलयभत्तिचित्ताभ संभुग्गयवइरवेइयापरिगयाभिरामाओ विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्ताओविव अच्चीसहर समालणीयाओ स्वगसहस्सकलियाओ भिसमाणीओ भिम्भिसमाणीओ चलो साओ सुहासाओ सस्सिरीयस्वाओ कंचणमणिरयणथुभियागाओ णाणाविहपंचव्रणघटापडागपरिमडियग्गसिहराओ धवलाओ मरीइकवयं विणिम्मुयंतीओ लाउलोइयमहियाओ गोसीससरससुर भिरत्तचंद णदद्दर दिष्ण पंचगुलितलामो उवचियचंदण कलसाओ चंदणघड सुकतोरणपडिदुबारदेसभागाओ आसत्तोसत्तविवग्वारियमल्लदामकलावाभो पंचवण्णसर ससुर हि एक प्फ. पं जोचयारकलियाओ कालागुरुपवर कुंदु रुकतुरुक धूवडतमघमतगंधुद्धयाभिरामा सुगधवरगंधियाओ गंधवट्टिभूयाओ अच्छरगणसंघविधिण्णाओ दिव्वतुडियस सपणादियाओ सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव पडिवाओ' इति एतच्छायाचाला किनर रूरू सरभ चभर कुजर दणलय पड़मलय भत्तिचित्ताओ संभुग्गय वइरवेड्या परिगयाभिरामाओ विज्जाहर जमल जुयलजंतजुत्ताओविव अच्ची सहसमालणीच्यओ वामहस्मकलियाओ भिमाणीओ भिन्भिसमा पीओ लोणलेसाओ सुहफासाओ सस्सिरीयरूवाओ कंचण मणिरणथूमियागाओ णाणाविह पंचरण घंटापडायमंडियण सिहराओ घवलाओ मरोड़ कai विणिम्मुयंताओ लाडल्लोइय महियाओ गोसीस सरस सुरभिरत चंदणदर दिण्णपंचंगुलितलाओ उवचियचंदणकलसाओ चंदणघडसुकयतोरण पडिदुवार देत भागाओ आसतोसत्त विजल यह वग्धारिय मल्लदाम कलात्राओ पंच व सरस सुरहि मुक्क पुष्फपुंजोवयारकलियाओ कालागुरुपवरकुंदुरुक्क तुरुस थूष डज्ांत मघमघंत गंधुद्धयाभिरामाओ सुगंधवर गंधियाओ गंधहि भूमाओ अच्छरगण संघ विकिण्णाओ दिव्व तुडिय सहसंपणादियाओं ईहामिग उसभतुरगणरमगर विहगवा लग किंनररुरुसरभ चमरकुंजर्वणलय पउम लयभत्तिचित्ताओ खंभुग्गयत्र इरवेइयापरिग्गयाभिरामाओ विज्जाहर जमलजुयलजंतजुत्ताओ विव अच्चीसहरसमालीयाओ, रूवगसहासक लियाओ मिसमाणीओ भिब्भिसमाणीओ चक्खुल्लोयणलेसाओ सुहफासाओ सस्सिरीयरूवाओ कंचमणिरयणभूमिभागाओ णाणाविहपंचवण्णघंटापडागपरिमंडियग्गसिह - राओ धवलाओ मरोइकवय विणिम्मुरंताओ लाउल्लोइयमहियाओ गोसीस सरस सुरभि - रक्तचंदणदर दिण्ण पंचगुलितलाओ उपचियचंदणकलसाओ चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवः रदेसभागाओ आमत्तोसत्तं विउलवट्टव ग्वारियमल्लदामकलावाओ पंचवण्णसरससु रहिमुक्कपुप्फजोयाक लियाओ कालागुरुपवरकुंदुरुक्कनुरुक्कंधूव डज्झतमघमघ' तगंधुद्ध्रुयाभिरामाओ सुगंधवरगंधियाओ गंधवट्टिभूयाओ अच्छरगणसंघ विकिण्णाओ दिव्व तुडिय सहसंपणादियाओ सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ' मनेड से उड। स्तलोथी युक्त नभां રહેલ સુ દર વજ્રવેદિકાના સુદર તારણાની ઉપર શાલભંજીકા–પુત્તળીયાની રચના
SR No.009346
Book TitleJambudwip Pragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages803
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size67 MB
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