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राजप्रश्नीयसूत्र मानापमानयोस्तुल्य इत्यर्थः, जिनमायः पर्वथा नि कपटा, जिन ठोभा लोभजेता, जिननिद्रवशोकृनिद्रः, जितेन्द्रियः निगृहीतसकलेन्द्रियः, जितपरीपह:परीपहजेता, नथा-जीविताशामरणभयविषमुक्ता-जीवितस्य-जीवनस्य या आगा तस्याः, तथा-मरणस्य-प्राणवियोगस्य यद् भयंततश्च विप्रमुक्तं रहितः जीवनमरणयोः समभावयुक्त इत्यर्थः तथा तपःप्रधान तपसा प्रधान सकलमुनीनां मध्ये प्राधानत्वं प्राप्तः, अथवा-तपः तपस्या प्रधानं यस्य स महातपस्वीत्यर्थः, गुणप्रधान:-गुण:=क्षान्त्यादिगुणों: प्रधान:=श्रेष्ठः। 'तपः प्रधानगुणप्रधाने' ति विषेषणद्वयेन · पसः पूर्व बद्धकमणो निराहेतुत्वेन सयमस्य चाभिनवकर्मणोऽनुपाद हे तुम्वेन, मोक्षोपायंत्वान्मोक्षार्थिभिस्ताववश्य मान के विजेता थे. अतः जितमान थे, तात्पर्य मान अपमान में सम थे सर्वथा निष्कपट थे. अतः जितमा थे, लोभ के जेता. थे अतः जित्तलोभ थे. निद्रा को वश में कर लिया था इसलिये जिनिद्र थे. समस्त इन्द्रियों के निग्रहकथि-इसलिये. जितेन्द्रिय थे-परीषाहों पर विजय पा लिया था इसलिये जितरीह थे, जीने की आशा. से एवं मरण के भय से बिलकुल विपनुक्त थे-इसलिये जीवन मरण में समभाव शाली थे. तपसे सकल मुनिजनो में प्रधानता प्राप्तकर लेने के कारण ये तपापधान थे. अथवा तपस्या प्रधान थे. महातपस्वी थे, इसलिये तपः प्रधान. थे, क्षान्त्यादिक गुणों से श्रेष्ठ होने के कारण गुम प्रधान थे "तपः। प्रधान एवं गुण प्रधान" इन दो विशेषणों से यह सूचित किया गया है कि तप पूर्ववद्धं कर्मो की निजरा. का हेतु. होता है एवं सयम नवीन कर्मो को अनुपादेयता का हेतु होता है अर्थात नवीन कर्मों के आगमन હતા. અર્થાત્ માન અપમાન બને એમના માટે સરખા હતાં. એઓ સંપૂર્ણતઃ નિપટ હતા. એથી જિતમાન હતા. લેભને જીતનાર હતા એથી. જિતલોભી હતા,
એમણે નિદ્રાવશ કરી હતી એથી એઓ જિતાનિદ્ર હતા, બધી ઇન્દ્રિયને એમણે 'पशमा ४ी मी ती. मेथी मेम तिन्द्रिय हुता, परीषही. ५२ ओभरविल्य મેળવ્યું હતું એથી એઓ જિત પરીષહ હતા. જીવવાની આશાથી અને મરણના ભયથી એઓ એકદમ વિપ્રમુકત હતા. એથી જીવન મરણમાં એઓ. સમભવશીલ 'इता. ससभुनियामा तपनी गपेक्षा प्रधान होपाथी भयो तपःप्रधान- हुता,
અર્થાતું મહાતપસ્વી હતા, ક્ષાત્યાદિક શ્રેષ્ઠ ગુણોથી યુક્ત હવા બદલ એ ગુણ "પ્રધાન હતા “તપઃપ્રધાન અને ગુણપ્રધાન આ: બે વિશેષણથી એ વાત સૂચિત કરવામાં આવી છે કે તપ પૂર્વબદ્ધકની નિર્જરોને હેતુ હોય છે અને સંયમ