SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राजप्रश्नीयसूत्रे १९० -% 3D चा सूलाइगं वा सूलभिन्नगं वा पायच्छिन्नगं वा एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियाओ ववरोवएज्जा । अहणं पएसी से पुरिसे तुम एवं वदेजामा ताव से सामी ! सुहृत्तगं हत्थच्छिण्णगं वा जाव जीवियाओ ववरोवेहि जाव तावं अहं मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपारयणं एवं वयामि एवं खलु देवाणुप्पिया। पावाई कम्माइ समायरेत्ता इमेयारूवं आवई पाविजामि, त मा णं देवाणुप्पिया ! तुन्भेवि केइ पावाई कम्माई समायरइ, मा णं भे वि एवं चेव आवई पावेजाहि य जहा णं अहं, तस्ल णं तुम पएसी। पुरिसस्स खणमवि एयमटुं पडिसुणेजासि ? णो इण सम, कम्हा गं ? जम्हा | भंते ! अबरोही णं से पुरिसे, एवामेव पएसी! तववि अज्जए होत्था इहेव सेयवियाए णयरीए अधम्मिए जाव णो सम्न कारभरविनि पत्ते, से गं अम्हं वत्तव्वयाए सुबहु जाव उववानो, तस्स ण अजगस्त तुभ णतुए होत्था इहे कंते जाव पासणयाए, से of इच्चइ माणुसं लोग हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए। चांह ठाणेहिं पएसी अहुणोववण्णए नरएसु नेरइए इच्छेइ माणुस लोग' हव्वमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएड-१ अहुणोववन्नए नरएसु नेरइए से णं तत्थ महन्भूयं वेयणं वेदेमाणे इच्छेजा माणुस्सं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेवणं संचाएइ ।२। अहुणोववन्नए नरपसु नेरइए नरयपालेहिं भुजो भुजो समहि िजमाणे इच्छइ माणुसं लोग हव्वमागच्छित्तए नो चेवणं संचाएइ ।।अहुणोववन्नए नरएसु नेरइए निरयवेयणिजंसि कम्मसि अक्खीणसि अवेइयंसि
SR No.009343
Book TitleRajprashniya Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1966
Total Pages499
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy