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सुबोधिना टोका' सु. ११३ सूर्याभदेवस्य पूर्वभवजीवप्रदेशिराजवर्ण नम् येन स तथा-मांशयिकस्थल परस्पर प्रश्नकरणेन निर्णीतार्थः, अधिगतार्थ:-- अधिगतम् सर्वया उपलब्धः अर्थो येन स तथा सर्वप्रकारेणोपलब्धार्थः, अत एव-विनिश्चितार्थ:-वि-विशेषेण निश्चित निर्णीतोऽर्थो येन स तथा-ज्ञातवास्तविकार्य इत्यर्थः, ता-अस्थिमजा मानुरागरक्तः-अस्थिमज मसिद्ध ते प्रेमानुरागेण-निग्रन्धवचनविषयकं यत् प्रेम तद्रूपो योऽनुरागोरञ्जनद्रव्य तेन रक्त इन रक्त यस्य स तथाभूतः सन् "हे आयुज्मन् ! इद न ग्रन्थ प्रचचनमेव अर्थः वास्तविकार्थयुक्त-मोक्षहेतुत्वात, शेषम्-हतो भिन्न अन्यतीथि ककुमावनादिकम् अनर्थ:-कुगतिप्रापकत्वात्' इत्येव पुत्रादिकम नुशासत, तथा अशिस्फाटिकः स्फटिकमिव स्फाटिकम् . अन्तः करणम्, उच्छितम् उद्गतम्फाटिक यस्य . स . तथा-निग्रन्थप्रवचन प्रतिपक्या, असदिचारशून्यत्वात्स्फटिकवन्तिम लान्तःकरण इत्यर्थः, अथवा'उच्छित परिघ' इतिछाया, एतत्पक्षेः उच्छ्त्ति-तत्स्थानादमनीय ऊर्थी र का निर्णेता बन गया था. इसलिये पृष्टार्थ था, सर्व प्रकार से अर्थ को ग्रहण करने वाला बन गया था, इसलिये ये लब्धार्थ था. वास्तविक अर्थका ज्ञाता बन गया था. इसलिये ये विनिश्चयार्थ था, निर्ग्रन्थमनचनविषयक प्रेमउसकी रोमर में समागया था, इसलिये ये अस्थिमजायमानुराग रक्त था. वह - अपने पुत्र पौत्रादिकों से यही कहना था कि हे आयुष्मन् ! यह निग्रन्थ प्रवचन ही मोक्ष हेतु होने से वास्तविक अर्थ से युक्त है अन्य कुवादियों के प्रवचन ऐसे नहीं है। क्योंकि वे दुति के पास कराने वाले हैं। निग्रंन्धप्रवचन की प्रतिपत्ति से उसका हृदय स्कटिकमणि के जैसा- निर्मल हो गया था "उसियफलिहे की छाया जब उच्छितपरिघा', ऐसी: की जाती है सब इसका का ऐसा होता है कि इसनेः घरके द्वार के किवाडों में, -વાથી તે અને નેતા બની ગયે હતો એથી તે પ્રષ્ટાર્થ હતો. તે સર્વ રીતે અને ગ્રહણ ક્યનાર બની ગયે હતો. એથી તે લબ્ધાર્થ હતો. તે વાસ્તવિક અર્થને साता गया तो. मेथी. ते विनिश्चतार्थ हतो. नियन्य विषय प्रेम તેના આએ અણુમાં રમી ગયે હતો, એથી તે અસ્થિમજજામાનુરાગી હતો. તે पताना पुत्र पौत्र वगैरेन. मी प्रमाणे तो तो "मायुभन् ! सा 'નિર્ગથ પ્રવચન જ મેક્ષના હિતુ હેવા બદલ રક્તવિક અર્થથી ચુકત છે. બીજા કુવાદિએના પ્રવચને આવાં નથી. કારણકે તે કુતિ તરફ દેરનારા છે. નિર્ગ પ્રવચનની प्रतिपत्तिथी तनु य २३टिभ भ निमण थायु तु. "उसीयफलिहे'
नी छाया त्यारे 'उच्छूितपरिघा प्रमाणु ४२वामा मा छ त्यारेन मर्थ - આ પ્રમાણે હોય છે કે તે મ્રવેશદ્વારના કમાડેમાં અર્ગલા મૂકવાના સ્થાનની
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