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राजप्रश्रीयमुत्रे
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न्धिकानां ज्योतीरसानाम् अञ्जनपुलकानाम् अञ्जनानां रजतानां जातरूपा गाम् अङ्कानां स्फटिकानाम रिष्टानाम् यथावादरान पुद्गलान् परिशातयन्ति यथावादशन् पुद्गलान परिशात्य यथासूक्ष्मान् पुद्गलान् पर्याददते पर्यादाय द्वितीयमपि वैक्रियसमुद्घातेन समवहन्यन्ते, समवहत्य उत्तरक्रियाणि रूपाणि विकुर्वन्ति, विकृत्य तथा उत्कृष्टया मशस्तया त्वरितया चपलया चण्डया जव नया शीघ्रया उतया दिव्यया देवगत्या तिर्यगसंख्येयानां द्वीपसमुद्राणां मध्यमध्येन व्यतिव्रजन्तः २ यत्रैव जम्बूद्वीपो द्वीपः यत्रैव भारतं वर्ष यंत्र तीरसों के अजनपुकों के रजतों के, जातरूपों के अंको के, स्फटिकों के और रिष्टों के इन सब रत्नों के यथा बादर पुद्गलों का तो परित्याग कर दिया. (डिमाडिता अहाहुमे पुग्गले परियायंति) और परित्याग करके उनके यथा सूक्ष्म पुद्गलों को ग्रहण कर लिया (परियाहत्ता दोच पि वेउच्चियसमुग्धपण समोहगति) ग्रहण करके फिर उन्होंने दुबारा भी समुद्घात किया, (समोदणित्ता उत्तरवे उच्विया स्वावति) वै क्रिय समुद्घात करके फिर उन्होंने उत्तर वैयिरूपों की विकुर्वणा की (उच्चता ताए उपाए पसत्थाए तुरियाए, चवलाए, चंडाए, जवणार, सिग्याए उपाए दिखाए, देवगईए, तिरियमसंखेजणं दीवसमुदाणं मज्झ मज्झेण वीईचयमागा २) विकुर्वगा करके फिर वे उस उत्कृष्ट प्रशस्त. स्वरित, चपल, चण्ड उत्कृष्ट वेगळी शीघ्रतायुक्त, उर्दून, दिव्य वेगगनि से तिरछे असंख्यात द्वीप समुद्रों के बीचों बीच से होते हुए (जेणेत्र जंबुद्दीवे दीवे, जेणेव भारहे वासे, जेणेत्र आमलकप्पा नगरी, जेणेव હંસગ રત્નાના પુત્રાકમ ણયા ના सौगंधिोने, ज्योतिष्डाना, मंजन - डीना, २० तो ना, लत३योना, अ, स्इटिभेना भने सिटोना आ - અધાન થા नाहर युहूगडोना परित्याग उरी हीधी, (पडिसाडिता अहा सुरुमे पुग्गले परियायंति) भने परित्याग मुरीने तेमना सूक्ष्म युगओनु ग्रह पुरी सीधु, (परियाइत्ता दोच्चपि वे उन्त्रिसमुग्धाएण समोहनंति) श्रणु उरीने तेभो मील वणत पशु यि समुद्घांत यो. (समोहणित्ता उत्तरवेउन्त्रियाइ रुवाई विउति) वैडिय अभुद्धात श्रीने तेभ! उत्तर वैडियनी विठुर्वणारी. (विउचित्ता ताए उक्कियाए पत्याए तुरियाए, चलाए, चंड़ाए, जवणाए, सिधार, उयाए, दिव्वाए, देवगईए, तिरियमम खेज्जाणं दीवसमुद्दाण मज्झमझेग बीईयमाणा २ ) विठुर्वीणा उरीने ते पोतानी उत्कृष्ट, प्रशस्त, त्वरित, पद्म, य, उष्ट वेगवाणी, थाती युद्ध, प्रत उद्धत, हिव्य देवगतिथी व थंधने (जेणेव जंबुद्दीवे दीवे. - जेणेव भारदेवासे, जेणेव आमलकप्पा नगरी, जेणेव अत्रसालवणे चेइए जेणेत्र
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