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सुबोधिनी टीका. सू. ८२ उपपातानन्तरं सूर्याभदेवस्य चिन्तनम्
५५९ छाया-तस्मिन् काले तस्मिन् समये मूर्याभो देवः अधुनोपपन्नमात्रकएक सन् पञ्चविधया पर्याप्त्या पर्याप्तिमा गच्छति, तद्यथा आहारपर्याप्त्या? शरीरपर्यात्यार, इन्द्रियपर्याप्त्या३, आनप्राणपर्याप्त्या४. भाषामनः पर्याप्त्या५। ततः खलु तस्य मूर्याभस्य देवस्य पञ्चविधया पर्याप्त्या पर्याप्तिसावं गतस्य सतः अयमेत आध्यात्मिकश्चिन्तितः कल्पितः प्रार्थितो मनोगतः सङ्कल्पः समु. दपद्यत- किं मे पूर्व करणीयम् ? कि ने पश्चात् करणीयम् ? कि मे पूर्व,श्रेयः ? है तथा जैसा उसका अभिषेक हुआ है-'तेणं कालेणं नेणं समएणं' इत्यादि।
स्वार्थ-(लेग कालेण तेणं जमएण) उसकाल में चतुर्थ आरक के अन्तिम भाग में और उस समय में-(मरियामदेवे अहणोपवण्णमित्तए चेव समाणे) जब कि बर्यासदेव वहां उत्पन्न होता हुआ (पंचविहाए पज्जत्तीए पजत्ती. भाव गच्छद) पांच प्रकार की पर्यालियों से पर्याप्तिभाव को प्राप्त हुआ (त जहा) वे पांच प्रकार की पर्याप्तियाँ इस प्रकार से हैं-(आहारपज्जत्तीए १, सरीरपजत्तीए२, इंदियपज्जत्तीए३, आणपाणपज्जत्तीए४, भासामणपज्जत्तीए५) आहारपर्याप्ति१, शरीरपर्याप्तिर, इन्द्रियपर्याप्ति३, श्वालोनासपर्याप्ति४, और भाषामनपर्याप्ति५, (तए ण तरल सरियामस्थ देवस्ल पंचविहाए पजतीए पज्जत्तीभावगयस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चिंतिए, कप्पिए, पस्थिए, मणोगए, संकप्पे समुष्पजित्था) इस प्रकार जब वह मूर्याभदेव आहार शरीर आदिरूप इन पांच पर्याप्तियों से पर्याप्तिभाव को प्राप्त हो चुका तब उसे इस प्रकार का यह आध्यात्मिक, चिन्तित, कल्पित प्रार्थित
सूत्रार्थ-(तेण कालेण तेण समएण) ते अणे यतुथ माना मितिम HTwi- भने त समयमा ( सूरियाभदेवे अहुणोक्षणमित्तए चेव समाणे ) सूर्याभव त्यi Gपन्न यधने (पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जनीभावं गच्छइ) पायमारनी पयतिमाथी पातिभावने प्रात थयो. (तजहा) ते पांय प्रा२नी पलिये। मा प्रमाणे छ. (आहारपज्जत्तीए-१, सरीरपज्जत्तोए २, इंदियपज्जत्तीए ३, आणपाणपज्जत्तोए ४, भासामणपज्जत्तीए ६,) Pार पाति १, शरी२ पति ૨. ઈન્દ્રિય પર્યાપ્તિ ૩, શ્વાસોચ્છવાસ પર્યાપ્તિ છે, અને ભાષામન પર્યાપ્તિ ૫, (तएणतस्स सरियामरस देवरस पविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तीभाव गया समाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चिंतिए, कप्पिए, पत्थिए, मगोगए, सकप्पे समुप्पज्जित्था) प्रमाणे न्यारे ते सूर्यालय मा शरी२ वगेरे ૩પ આ પાંચ પર્યાપ્તિઓથી પર્યાપ્તિભાવ પામી ચૂક્યો. ત્યારે સૂર્યાભદેવને આ જાતનો माध्यात्मि, यितित, अदित, प्राथिति, मनोरात, स४८५ पन थयो (किं मे