________________
राजप्रश्नीयसूत्र सादाः, रत्नमय्य आवर्तनपीठिकाः, अकोत्तरपाकानि निरन्तरिकत्रनपाटानि, भिनिवेव भिलिलिकाः पट्पञ्चाशत् तिम्रो भवन्ति गोमानसिकाः तावत्यः नानामणिरत्नमालपालीलास्थितशालभजिकाकाः वज्रमयाः कुटा रत्नमया उत्सेधाः, सर्वतपनीयमया उल्लोकाः, नानामणिरत्न रत्नविशेष की बनी हुई है. इनके इद्रकील गोमेद रत्न के बने हुए हैं, इनकी हार शाग्वाएँ लोहिताक्षरत्न की बनी हुई हैं। उत्तरंग-द्वार के ऊपर के नियंग स्थित अंग ज्योति मम नामक रत्न के बने हुए है. इनकी अचियां लोहिताक्ष रत्नों की बनी हुई हैं, संघियां इनकी बत्रात्न की बनी हुई हैं इनके समुद्गक अनेक मणियों के बने हुए है. इनकी अर्गलार बन्चरत्न की बनी हुई हैं तथा जो अर्गलापाशक है वे भी वनरत्न के बने हुए हैं। (श्ययामयाओ आवत्तगहियाओ) इनकी आवर्तन पीठि काएँ चांदी की बनी हुई है। (अकुतरपागा निरंतरिवगगकवाडा, भि. त्तीसुचेव. भित्तिगुलिया, छप्पन्ना तिन्नि होति) इनके. उत्तरपावंक अंक नामक रत्न के बने हुए हैं, इनके कपाटयुगल इतने मघन हैं कि इनमें थोडा भी अन्तर नहीं है. इन प्रत्येक द्वारों की दोनों ओर मित्तियों में ही :१६५ सित्तिगुलिकाएं हैं (गोमाणमिया तनिगा, णाणामणि रयण वालरूवगलीलहिय सालभंजियागा, बरामया कूडा. रयणामया उस्लेहा, सञ्चतर्वाणजमया उल्लोया) इतनी ही गोमानसिकाएँ हैं। इनमें खेलने के लिये जो पुत्तलिकाएं रखी हुई हैं वे नानामणियों की एवं रत्नों की बनी हुई બનેલા છે. એમના ઈન્દ્રકીલ, ગમેદ રત્નના બનેલા છે. એમની કાર શાખાઓ લેહિતાક્ષરત્નની બનેલી ઉત્તરંગ-દ્વાર (દરવાજા) ઉપરના તિર્યમ્ સ્થિત વિભાગ તિ રસનામક રનના બનેલા છે. એમની સૂચીઓ લેહિતાક્ષ રત્નોની બનેલી છે. એમના સમુદગ અનેક મણિઓના બનેલા છે, એમની અર્ગલાઓ વજરત્નની બનેલી છેतभा pratyाश छ त ५४ १२०२लना मनेा छ. (स्यधामयाओ आवजण पेढियाओ गेमनी मापत्तन पायो यहानी गनेकी छ (अंकुत्तरपामगा निरंतरिय घणकवाडा, मिनी चेष भित्तिगुलिया, छप्पन्ना निन्नि होति) એમને ઉત્તર-પાર્વક અંક નામક રત્નના બનેલા છે. એમના બંને પાટ (કમાડ) એકદમ સંઘન છે તેથી છેડી પણ વચ્ચે છિદ્ર જેવી નથી. એમના દરેક દરવાજો मानी न मानो हम ४ १६८ मित्तिगुलिया. (गोमाणसिया तत्तिया, जाणामणिरयणवालस्वगलीलटि य सालभंजियागा, बहरा मयाकूडा, रयणामया उस्सेहा, सन्यतवाणिज्जामया उल्लोया) मेटली गोभानसियो छ
માં રમવા માટે જે પૂતળીઓ મૂકેલી છે તે અનેકાનેક મણિઓ તેમજ રત્નની