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राजप्रश्वीयसूत्रे
रिनिपर्यन्नपद
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स्त्रीभिः - चनसृभिरप्रमहिपोभिरिति समारभ्य पोडशभिरात्मरक्षकदेव साहस्रीमि बोध्यः तथाहि चतसृभिरग्रमहिषीभिः सपरिवाराभिः, तिसृभिः परिषद्भिः सप्तभिरनीकाधिपतिभिः पोडशभिरात्मरक्षक देवसाहस्रोभि रिति । अन्यैश्व - अग्रमहिण्यात्मरक्षकातिरिक्तैश्च बहुभिः - अनेकैः सूर्याभविमान वासिभिर्वैमानिकै देवैः देवीभिसार्द्ध संपरिवृतः - सम्परिवेष्टितः 'सर्वद्र यावद् नादितरवेण सर्वद्धर्येत्यारभ्य नादितरवेणेतिपर्यन्तपदसङ्ग्रहो बोध्यः, तथाहि सर्वद्वर्या, सर्वत्या, सर्ववलेन, सर्व समुदयेन, सर्वादरेण सर्ववि नृत्या, सर्वविभूषया सर्वसम्भ्रमेण सर्वपुष्पमाल्यालङ्कारेण, सर्वत्रुटित शब्द्द संनिनादेन महत्या ऋद्धया, महत्या त्या महता बलेन महतासमुद्रन हजार आत्मरक्षक देवों के, अतिरिक्त तीन परिपदा के देवों का, सोत अनोकाधिपतियों का और चार अग्रमहिपियों के परिवार का संग्रह हुआ है । ' सचिडीए जाव णाइयरवेणं' में जो यावत् पद आया है। उससे 'सर्व' पद से लेकर 'नादित वेग' यहां तक के पदों का संग्रह हुआ है। तथा च - ' सर्वद्धि से सर्वधुति से, सर्ववल से सर्व समुदय से सर्वादर से सर्वविभूति से, सर्वविभूपा से, सर्वसंभ्रम से सत्र पुष्पमाल्यालंकार से सर्व त्रुटित शब्द संनिनाद से, महती ऋद्धि से, महती द्युति से, महान बल महान समुदाय से, महान वस्त्रुदिन यमक समक प्रत्रादित ऐसे शंख - पणत्र - पटह - भेरी-झल्लरी - खरम् ही - हुडुक्का - मुरज- मृदङ्ग - दुन्दुभि के निर्धोपनादिन रव से युक्त हुआ वह मुर्यामदेव जहां श्रमग भगवान् महावीर विराजमान थे - वहां आया ऐसा संबंध लगाना चाहिये. इन सर्वर्द्धि आदि से लेकर नादितरवेण तक के पदों की व्याख्या રક્ષક દેવોના ખાકીના ત્રણ પરિષદાના દેવાના, સાત અનીકાધિપતિને! અને ચાર अश्रभडिषीगोना परिवारने। संग्रह थयो छ. 'सविडीए जाव णाइय वेणं ' भां ? यावत् यह आव्यु ं छे, तेथी 'सर्वद्धर्या' पढथी भांडीने ' मडी सुधीना चहोना संग्रह थयो छे भने 'सर्वद्धिथी' सर्वधुतिथी, सर्वजणथी, नादितरवेण ' सर्व समुहायथी, सर्वाहस्थी, सर्व विभूतिथी, सर्व विभूषार्थी, सर्व संभ्रमथी, सर्व પુષ્પમાલ્યાલંકારથી સ ત્રુટિત શબ્દ સનિનાદથી, મહતી ઋદ્ધિથી, મતિ તિથી મહાન્ મળથી, મડ઼ાન સમુદૃાયથી, મહાન વર ત્રુટિત યમક, સમક પ્રવાદિત એવા શખ, પણવ-પટહ ભેરી– ઝલ્લરી ખરમહી, હુડુકકા મુરજ, મૃદંગ દુંદુભિના નિર્ધીષ નાદિત રવથી યુકત થયેલા તે સૂર્યાભદેવ જ્યાં શ્રમણ ભગવાન મહાવીર વિરામાન હતા ત્ય' આવ્યે वो अर्थ अभावो ऽथे या 'सर्वद्धि' वगेरेथी भांडीने ' नादितरवेण
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