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प्रज्ञापनास्त्र वाहल्लेणं आयामेणं जहण्णणं विज्जाहरसेढीओ उकोसेणं जाव अहोलोइ. यगामा तिरियं जाव मणूसखेत्ते उड्ढं जाव सगाई विमाणाई अणुत्तरोववाइयस्स वि एवं चेव, कम्लगसरीरेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-एगिदिय कम्मगसरीरे जाव पंचिंदिय कम्मगसरीरे य, एवं जहेव तेयगसरीरस्त भेदो संठाणं ओगाहणा भणिया तहेत्र निरवसेसं भाणियव्वं जाव अणुत्तरोववाइयत्ति ॥सू० ९॥
छाया-जीवस्य खलु भदन्त ! मारणान्तिकसमुद्घातेन समवहतस्य तेजसशरीरस्य कि महालया शरीरावगाहना प्रज्ञप्ता! गौतम ! शरीरप्रमाणमात्रा विष्कम्भवाहल्येन, आयामेन जवन्येन अङ्गुलस्यासंख्येयभागम, उत्कृष्टेन लोकान्ताद लोकान्तम्, एकेन्द्रियस्य खल भदन्त ! मारणान्तिकसमुद्घातेन समवहतस्य तैजसशरीरस्य किं महालया शरीरावगाहना
तैजसशरीर की अवगाहना शब्दार्थ-(जीवस्स णं) जीव के (भंते !) हे भगवन् (मारणंतियसमुग्घाएणं) मारणान्तिक समुद्घात से (समोहयस्स) समवहत अर्थात् समुदघात किये हुए का (तेयासरीरस्स) तैजलशरीर का (के महालिया) कितनी वडी (सरीरोगाहणा) शरीर की अवगाहना (पण्णत्ता) कही है (गोयमा) हे गौतम ! (सरीरपसाणमेत्ता) शरीर प्रमाण मात्र (विक्खंभवाहल्लेग) विष्कंभ और वाहल्य से (आयामेणं) लम्बाई से (जहण्णेणं) जघन्य (अंगुलस्त असंखेजइभाग) अंगुल के असंख्यातवें भाग (उकोसेणं) उत्कृष्ट (लोगताओ लोगते) लोकान्त से लोकान्त तक (एगिदियस्ल णं भंते ! मारणंतिथलमुग्घाएणं समोयस्स तेयासरीरस्स) हे भगवन् ! भारणन्तिक समुद्घान से समवत एकेन्द्रिय के तैजसशरीर की (के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?) कितनी बडी शरीरावगहना कही है ?
તેજસશરીરની અવગાહના श::- (जीवस्स ण) छपना (भंते) लगवन् (मारणंतियसमुग्धाएण) भारान्ति समुद्धातथी (समोहयास) सभवन मर्थात् समुद्धात रेखामान (तेयासरीरस्स) तेसशरीरनी (के महालिया) 32ी मारी (सरीरोगाणा) शरीरनी माना (पण्णत्ता) ४ी छे (गोयमा ।) 3 गौतम । (सरीरप्पमाणमेत्ता) श१२ प्रभा मात्र (विक्खंभवाहल्लेणं) वि.४१ भने माझ्यथा (आयामेणं) माथी (जहण्णेणं) धन्य (अंगुलस्स अस खेज्जइभाग) - सन मस ध्यानमाला (उक्कोसेणं) कृष्ट (लोगताओ लोगते) सती सोन्त सुधी.
(एगि दियस्स णं भंते ! मारणत्तियस मुग्घाए णं समोहयस्स तेयासरीरत्स) 3 भगवन् ! मानित भुवातथा समपत मेन्द्रियना तैसशरीरनी (के महालिया सरीरोगाहणा