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________________ २४७ प्रमेयबोधिनी टीका पद १७ सू० १८ रसपरिणामनिरूपणम् पृच्छा ? गौतम ! तद् यथानाम भङ्गी इति वा भङ्गरज इति वा पाठा इति वा चित्रमूलकमिति वा पिप्पली इति वा पिप्पलीमूलमिति वा पिप्पलीचूर्णमिति वा मरीचमिति वा मरीच. चूर्णमिति वा शृङ्गवेरमिति वा शृङ्गवेरचूर्णमिति वा, भवेद् एतद्रूपा ? गौतम ! नायमर्थः समर्थः, नीलेश्या खलु इतो यावद् अमनआमतरिकाचैव आस्वादेन प्रज्ञप्ता, कापोतलेश्याया पृच्छा, गौतम ! तत् यथानाम आम्राणां वा आम्राटकानां वा मातुलिङ्गानां वा बिल्वानां वा कपित्थानां वा पनसानां वा दाडिमानां वा पारापतानां वा अक्षोटकानां वा बदराणां वा गौतम ! जैसे कोई (भंगीइ वा भंगीरएइ वा) भंगी नामक वनस्पति या भंगी वनस्पति की रज (पाढाइ वा) पाठा वनस्पति (चवियाइ वा) चविया (चित्तामूलएई वा) चित्रमूलक वनस्पति (पिप्पलीइ वा) पीपल (पिप्पलीमूलएइ वा) पीपरामूल( पिप्पली चुण्णेइ वा) पीपल का चूर्ण (मिरिए वा) मिर्च (मिरियचुप्णएइ वा) मिर्च का चूर्ण (सिंगवेरेइ वा) अदरख (सिंगवेर चुण्णेह वा) अदरख का चूर्ण (भवेएयारूवे) ऐसी होती है क्या (गोयमा ! णो इणटे समठे) हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं (नीललेस्सा ण एत्तो जाव अमणामतरिया चेव आसाएणं पण्णत्ता) नीललेश्या इससे भी यावतू अधिक अमनोज्ञ रस की अपेक्षा से कही है। ___(काउलेस्साए पुच्छा ?) कापोतलेश्या संबंधी प्रश्न ? (गोयमा! से जहा नामए) हे गौतम ! जैसे कोई (अंबाण वा) आमोंका (अंबाडगाणं) आम्राटकआम्राटक के फलों का (माउलिंगाण वा) विजौरों का (बिल्लाण वा) बिल्यों का (कविट्ठाण वा) कपित्थों-कबीठों का (मज्जाण वा) मज्जों का (फणसाण वा) पनसों का (दाडिमाण वा) दाडिमों का (पारेपताण वा) पारावतों का (अक्खोड (नीललेस्साए पुच्छा ?) नासोश्यानी छ। १ (गोयमा ! से जहा नामए) 8 गौतम ! रेम (भंगीइ वा भंगीरएइ वा) मी नामनी वनस्पति म॥२ मा वनस्पतिती २१ (पाढाइ वा) । वनस्पति (चवियाइ वा) यविया (चित्तमूलएइ वा) यिन४ वनस्पति (पिप्पलीइ वा) पी५२ (पिप्पलीमूलेइ वा) पीपरी भू (पिप्पली चुण्णेइ वा) पीपरनु यूए (मिरिए वा) भिय' (मिरियचुण्णएइ वा) भिनु यू (सिंगवेरेइ वा) मा (सिंगवेर चुण्णेइ वा) मानु यू (भवे एयारूवे) मेवी के साथ छे शु? (गोयमा ! णो इणटे समढे) 8 गौतम ! । म मान नथी (नीललेस्साणं एत्तो जाव अमणामतरिया चेव आसाएणं पण्णत्ता) नीलेश्या अनाथी ५] यावत् अपि અમનેઝ રસની અપેક્ષા કહી છે. (काउलेस्साए पुच्छा ?) पातश्या सम्बन्धी प्रश्न ? (गोयमा ! से जहानामए) गौतम! भ (अंबाडवा) मांगाना (अंबाडगाणं वा) भांमाना जाना (माउलिंगाण वा) मानना (बिल्लाण वा) (Mela (कविट्ठाण वा) पित्याना (मज्जाण वा) भलेना (फणसाण वा) इयूसोना (दाडिमाणं वा) मन (पारेवताण वा) पावताना (अक्खोडयाण वा) मोटाना
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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