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प्रज्ञापनाव
परिणमति, वत् तेनार्थेन एवमुच्यते- कृष्णलेश्या नीललेश्यां यावत् शुक्ललेश्यां प्राप्य तद्रू पतया भूयो भूयः परिणमति, तत् नूनं भदन्त ! नललेश्या कृष्णलेश्यां यावत् शुक्ललेश्या कापोतले श्या प्राप्य तद्रूपतया यावद् भूयो भूयः परिणमति ? हन्त, गौतम ! एवञ्चेव, कृष्णलेश्यां नीललेश्या तेजोलेश्यां पद्मलेन शुक्ललेश्याम्, एवं तेजोलेश्या कृष्ण लेश्यां नीलश्यां कापोतलेश्यां पद्मलेश्यां शुक्ललेश्याम्, एवं पद्मलेश्या कृष्ण लेश्यां नीकलेश्यां गौतम ! कापोतश्यां तेजोलेश्यां शुक्ललेश्यां प्राप्य यावद भूयो भूयः परिणमति ? इन्त, तच्चेव तत् नूनं भदन्त ! शुक्ललेश्या कृष्णलेश्यां नीलेश्यां कापोतलेश्यां तेजोलेश्यां पद्मलेश्यां प्राप्य यावद् भूयो भूयः परिणसति ? हन्त, गौतम ! तच्चेव ॥ सू० १६ ॥ परिणमइ) बार-बार परिणत होता है (से तेणद्वेणं एवं बुच्चइ) इस हेतु से ऐसा कहा जाता है (कण्हलेस्सा नीललेस जान सुक्कलेस्सं पप्प) कृष्णलेश्या नील लेश्या को यावत् शुक्ललेल्या को प्राप्त करके (हा स्वत्ताए भुज्जो भुज्जो परि णमइ) उसी के रूप में बार-बार परिणत होजाती है
(से) अथ (नृणं) वितर्क (नीललेस्सा किण्हलेस्तं जाव लुक्कलेस्सं पप्प) नीललेश्या कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या को प्राप्त करके (ता रूवत्ताए जाव भुज्जो भुंज्जो परिणम ?) उसी के रूप में यावत् पुनः पुनः परिणत होती है ? (हंता गोयमा ! एवं चेव) हां गौतम ! इसी प्रकार (काउलेस्सा किण्हलेस्सं नीललेस्सं तेउलेस्सं पम्हलेस्सं खुक्कलेस्स) कापोतदेश्या कृष्ण, नील, तेज, पद्म और शुक्ल'लेश्या को ( एवं पहलेस्सा किण्हलेस्सं नीललेस्तं काउलेस्सं तेउलेस्सं सुक्कलेस्सं कापोत, पप्प जाव भुज्जो २ परिणनइ ?) इसी प्रकार पदमलेश्या, कृष्ण, नील, तेजो और शुक्ला को प्राप्त होकर यावत् बार-बार परिणत होती है ? (हंता गोयमा !) हां गौतम ! (तं चेव) वही वक्तव्यता
भुज्जो परिणमइ) पा२वार परित थाय छे से तेणट्टेनं एवं बुच्चइ) यो स्तुथी ओम उडवाय छे (कण्हलेस्सा नीललेस्सं जाव सुक्कलेस पप्प) सेश्या नाससेश्याने यावत शुहसवेश्याने आप्त उरीने (ता रूवत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमइ) तेना ३पमा वारपार परित धर्म लय है.
(से) २अथ (नृणं) वितg (नीललेस्सा विण्हलेस जाव सुक्कलेस्स पप्प) नीससेश्या पॄष्णुद्धेश्या यावत् शुम्ससेश्याने प्राप्त ४रीने (ता रूवत्ताए जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ' ) तेनान- ३षभां यावत् पुनः पुनः परिवृत थाय छे ? (हता गोयमा ! एवं चैव ) डा गौतम ! शेर अारे (काउलेस्सा किण्हलेस्स' नीललेम्स' तेडलेस्स पम्हलेस्स सुक्कलेरस) अयोतदेश्या नीस, तेत्र, पद्म भने शुभ्ससेश्याने (एवं पम्हलेस्सा किण्हलेस्स नीललेस्स' काउलेस्स तेउलेस कस्स पर जाव मुजो मुजो परिणमह १) थे अहारे यझेश्या, ष्ट्णु, नील, પાંત, તેજ અને શુકલલેશ્યાને પ્રાપ્ત થઈને યાવત વાર વાર પશૃિત થાય છે? (તા
गोमा गीत ! (तंत्र) व्यता,