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प्रापनास्त्रे पृथिवीकायिकेषु उपपद्यते, स्यात् कृष्णलेश्य उद्वर्तने, स्यात् नीललेश्य उद्वर्तते, स्यात् ___ कापोतलेश्य उद्वर्तते, तेजोलेश्य उपपद्यते नो चेव खलु तेजोलेश्य उद्वर्तते, एवम् अका. यिका वनस्पतिकायिका अपि, तेजोवाता एवंञ्चैव, नवरम् एतेषां तेजोलेश्या नास्ति, द्वित्रिचतुरिन्द्रिया एवञ्चैव तिसृषु लेश्याम, पञ्चेन्द्रियतिर्यग्र्यो निशः मनुष्याश्च यथा पृथिवीकायिका अदिकामु तिमृषु लेश्यापु, भणितास्तथा पट्स्यपि लेश्याम मनतव्याः, नवरं पडपि. ज्जइ पुच्छा ?) क्या भावन् ! लेजोलेश्या पाला पृथ्वीकाधिक तेजोलेश्या वाले पृथ्वोकायिकों में उत्पन्न होता है ? प्रश्न (हंता गोया ! ) हां गौतम ! (तेउलेस्सेस्सु पुढविकाइएस्सु उवजह) तेजोलेश्या वाले पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न
होता है (सिय कण्हलेस्से उववइ) स्यात् कृष्णलेश्या वाला उद्वर्तन करता है __ (सिय नीललेस्से उववइ) स्यात् नीललेश्या वाला उद्वर्तन करता है (सिय
काउलेस्ले उववइ) स्थात् कापोतलेश्या वाला उद्वर्तन करता है (तेउलेस्से उववज्जइ) तेजोलेश्या वाला उत्पन्न होता है (नो चेवणं तेउलेस्से उववइ) तेजोलेश्या में उद्वर्तन नहीं करता (एवं आउकाइया वणसह काइया वि) इसी प्रकार अप्कायिक, वनस्पति कायिक (तेउवाऊ एवं चेव) तेजस्काय और वायुकाय भी इसी प्रकार (नवरं एएसिं तेउलेस्सा नत्थि) विशेष यह कि इनके तेजोलेश्या नहीं होती। - (किंदिय तिदिय चउरिदिया एवं चेच) दीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय इसी प्रकार (तिसु लेस्सासु) तीनों लेश्याओं में (पंचेदिय तिरिक्खजोणिया मणुस्सा य) पंचेन्द्रिय तिर्यंच और मनुष्य (जहा पुढविकाइया) जैसे पृथ्वीकायिक में (भणिया) कहे (तहा) इसी प्रकार (छस्तु वि लेस्मासु) छहों लेश्याओं में (भाणियव्वा) ભગવદ્ 'તેજલેશ્યાવાળા પૃથ્વીકાયિક તેલેશ્યાવાળા પૃથ્વી નાયિકમાં ઉત્પન્ન થાય છે? પ્રશ્ન (हंता गोयमा !) है। गौतम । (तेउलेस्सेमु पुढविकाइएसु उववज्जइ) तन्नतेश्या वा ४६48wi G५-- थाय छ (सिय कण्हलेस्से उखवट्टइ) स्यात् वेश्यावाणा वतन ४२ (सिय नीललेस्से उववइ) ॥ नारोश्यावा तन ४२ छ (सिय काउलेस्से उववट्टइ) स्यात् पातवेश्यावाणा पनि ४२ (तेउलेस्से उववज्जइ) तलावाण Gru-1 थाय छ (नो चेव ण ते उलेस्से उववट्टइ) तरसेश्यामा तन न ४२ता (एवं आउकाइया वणस्सह काइया वि) मे प्रहारे २५५४५४, वनस्पतिथि: ५ (तेउवाक एवंचेव) ते४२४ाय मन वायु ४य ये ४ारे (नवरं एएसि तेउलेस्सा नस्थि) विशेष सतभन तेनलेश्या नथी हाता.
(विन्ति चउरिदिया एवंचेव)ीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय, तुरिन्द्रिय से प्रारे (तिसु लेस्सास) प्रय श्यामाभा (पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया मणुस्सा य) पयन्द्रिय तिय य भने मनुष्य (जहा पुढविकाइया) २५ पृथ्वीयि४ (आदिल्लिया) माहिनी (तिसु लेस्सासु) त्र वेश्या मामा (भणिया) ४ा छ (तहा) ते प्रारे (छसु वि लेस्सास) छ सेश्यासोमा (भाणियना)