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प्रमेयवोधिनी टीका पद ९ सू ४ चैरमाचरमत्वनिरूपणम् इयं खलु भदन्त ! रत्नप्रभापृथिवी किं चरमा ? अचरमा, चरमाणि, अचरमाणि, चस्मान्त प्रदेशाः अचरमान्तप्रदेशाः ? गौतम ! इयं खलु रत्नप्रभा पृथिवी नो चरमा, नो अचरमा, नो चरमाणि, नो अचरमाणि, नो चरमान्तप्रदेशाः, नो अचरमान्तप्रदेशाः, नियमात् अचरमम् , चरमाणि च चरमान्तप्रदेशाच, अचरमान्तप्रदेशाश्च एवं यावत् अधः सप्तमीपृथिवी,
१० चरमाचरम पद् शब्दार्थ-(कइ णं भंते ! पुढवीओ पण्णत्ताओ ?) भगवन् ! पृथिवियां कितनी कही गई हैं ? (गोयमा ! अट्ट पुढवीओ पण्णत्ताओ ) गौतम ! आठ पृथिवियां कही गई हैं। (तं जहा) वे इस प्रकार (रयणप्पभा) रत्नप्रभा (सकरप्पभा) शर्करप्पभा (वालयप्पभा) वालुकाप्रभा (पंकप्पभा) पंकप्रभा (धूमप्पभा) धूमप्रभा (तमप्पभा) तमःप्रभा (तमतमप्पभा) तमस्तमःप्रभा (ईसीपञ्भारा) ईषत प्रारभारा
(इमा णं भते ! रयणप्पभा पुढवी किं चरमा) भगवन् ! यह रत्नप्रमा पृथिवी क्या चरम है। (अचरमा) अचरम है । (चरमाई) चरमाइं है (अचरमाई) अचरमाइं-अचरमाणि है (चरमंत पदेसा) चरमान्तप्रदेशा है (अचरखंतपएसा) अचरमान्तप्रदेशा है (गोयमा ! इमाणं रयणप्पभा पुढवी) गौतम ! यह रत्नप्रभा पृथिवी (नो चरमा नो अचरमा) न चरमा है, न अचरमा है (नो चरमाति) न चरमाणि (नो अचरमाति) न अचरमाणि है (नो चरमंतपदेसा न अचरमंतपदेसा) न चरमान्तप्रदेशा है, न आचरमान्तप्रदेशा है (नियमा) नियमा से (अचरम) अचरम है (चरमाणि य) बहुवचनान्त चरम है (चरमंतपदेसा य
(१०) य२भायरम ५४ शहाथ-(कइणं भंते ! पुढवीओ पण्णत्ताओ) मापन् ! पृथ्वी ही ४९सी छे ? (गोयमा । अढ पुढवीओ पण्णत्ताओ) 3 गौतम ! मा पृथ्वीमा ४ी छ (तं जहा) तग।
मा प्रअरे छ (रयणप्पभा) रत्नप्रभा (सकरप्पभा) २४२मा (वालु पापभा) पा॥ प्रमा (पंकापभा) ५४मा (धूमप्पभा) धूमप्रमा (तमप्पभा) तभ प्रला (तम तमप्पभा) तमस्तमप्रमा (ईसी पन्भारा) ७५त् प्रसार
(इमाणं भंते ! रयणप्पभा पुढवी किं चरमा) हे भगवन् । २॥ २त्नमा पृथिवी शु. यम छ ? (अचरमा) अन्यरम छ (चरमाई) यरमा छ (अचरमाइं) अन्य२मा-मस्य२मा छे (चरमांतपदेसा) २२मान्त प्रदेश॥ छे (अचरमंतपएखा) अयरमांत प्र॥ छ ? (गोयमा | इमाणं रयणप्पभा पुढवी) 3 गौतम ! ॥ २त्नमा यी (नो चरमा नो अचरमा) नथी यरमा है नथी मयरमा (नो चरमाति) न यमान (नो अचरमाति) भयरमाणिये नथी (नो चरमंतपदेसा, नो अचरमंतपदेसा) २२मान्त प्रदेशानयी, मयरमान्त प्रशानथी (नियमा) नियमथी (अचरमं) अयम छ (चरमाणि य) मधुपयनान्त २५२म छे (चरमंतपदेसा य अचरमंतपदेसा य) २२मान्त प्रदेश मने मयरमात अशा