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________________ . . . प्रयापनास्त्रे रकमिश्रशरीरकायप्रयोगिणश्च कार्मणशरीरकायप्रयोगी च ७, अथवा- एकच आहारकशरीरकायप्रयोगिणश्च आहारकमिश्रशरीरकायप्रोगिणश्च कार्मणशरीरकायप्रयोगिणश्च ८, एवं एए निकसंयोगेन चत्वारोऽष्टौ भङ्गाः, सेऽपि मिलित्वा द्वात्रिंशद् भङ्गाः ज्ञातव्याः ३२ सू०४ .... टीका-अथ त्रिकसंयोगे मनुष्याणाम् ह-त्रिंशद् भगान् प्ररूपयितुमाह-'अहवेगे य ओरालियमीसगसरीरकायप्पभोगी य आहार गसरीरकायप्पओगी य, आहारगमीसासरीरकायप्पसायप्रयोगी, एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और बहुत कार्मणशरीरकायप्रयोगी (६)। (अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य, आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य) अथवा कोई बहुत आहारकशरीरकाय. प्रयोगी, बहुत आहारकमिश्रशरीरकायपणेगी और एक कोई कार्मणशरीरकायप्रयोगी (७)। (अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य, आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य, कम्मगसरीरकायप्पगिणो य) अथवा बहुत से आहारकशरीरकायः प्रयोगी, बहुत-से आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और बहुत-से कार्मणशरीरकायप्रयोगी (८)। (एवं) इस प्रकार (एए) ये (तिय संजोएण) - तीन के संयोग से (चत्तारि) चार (अभंगा) आठ भंग हुए (सब्वेवि मिलित्ता) सभी मिलकर (बत्तीसं भंगा) बत्तीस अंग (जाणियवा) जानने चाहिए (३२)। ' - टीकार्थ-अब मनुष्यों में पाये जाने वाले त्रिकसंयोगी बत्तीस भंगों का निरूपण क्तिया जाता है___ अथवा कोई एक मनुष्य औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता हैं, कोई एक કાયપ્રયેગી અને ઘણા કાર્માણશરીરકાયDગી (૨) (अहवेगे य आहारगसरीरकाया रोगिणो य, आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मा सरीरकायप्पओगी य) अथवा ४७ मा8:२४०३१२४॥यप्रयोग, घ मा २४ मिश्रशरीर કાયDગી અને કેઈ એક કામણશરીરકાયપ્રયેગી (૭) ___ (अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो 'य, आहारगमीसासरीरकायापंओगिणो य, कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य) या घl मा मा२४शरी२४॥यप्रयोजी, या मंधा આહારક મિશ્રશરીરકાયપ્રણી અને ઘણું કાર્મણશરીરકાયDગી (૮) (ए) से प्रारे (एए) मे (तिय संजोएणं) ताना स योगथी (चत्तारि) यार (अट्ठ भंगा) मा l यया (सव्वे वि मिलित्ता) मधा भजीन (बत्तीस भंगा), त्रीस con (जाणियव्वा) तपो (३२) ટીકર્થહવે મનુષ્યમાં મળી આવતા ત્રિક સંયેગી બત્રીસ ભાગોનું નિરૂપણ કરાય છે અથવા કઈ એક મનુષ્ય ઔદારિક મિશ્રશરીરકાયપ્રયેગી થાય છે, કોઈ એક મનુષ્ય
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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