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________________ प्रक्षापनासूत्रे खलु श्रेणीनां विष्कम्भसूची संख्येययोजनशतवर्गप्रतिभागः प्रतरस्य, मुक्तानि यथा औदारिकाणि, आहारकशरीराणि यथा असुरकुमाराणास्, तैजसकार्मणानि यथा एतेपाश्चैव वैक्रियाणि, ज्योतिष्काणामेवञ्चव, तासां श्रेणीनां विष्कम्भसूची द्विपदपञ्चाशदङ्गुलशतवर्ग प्रतिभागः प्रतरस्य, वैमानिकाना मेवञ्चव, नवरं तासां श्रेणीनां विष्कम्भमूचिः अगुलद्विती. यवर्गमूलम्, तृतीयवर्गमूलप्रत्युत्पन्नम्, अथवा खलु अगुलतृतीयवर्गमूलघनप्रमाणमात्राः श्रेणयः, शेष तश्चैव । शरीरपदं समाप्तम् ॥सू० ६॥ और कार्मण जैसे इन्हीं के औदारिक ___ (वाणमंतराणं जहा नेरयाणं ओरालिया) वाणव्यन्तरो के जैसे नारकों के औदारिक (वेउब्धियसरीरगा जहा नेरड्याणं) वैक्रिय शरीर जैसे नारकों के वैक्रियशरीर (नवरं) विशेष (तासि णं सेढीण) उन श्रेणियों की ( विखभसूई) विष्कंभसूची (संखिज्ज जोअणसयवग्गपलिभागो पयरस्स) प्रतर का संख्यात शनवर्ग प्रतिभाग (मुकिल्लयाजहा ओरालिया) मुक्त शरीर औदारिकों के समान (आहारगसरीरा) आहारक शरीर (जहा असुरकुमाराण) जैसे असुरकुमारों के (तेया कम्मगा) तैजस और कार्मण (जहा एतेसि णं चेव वेउविया) जैसे इन्हीं के वैक्रिय (जोइसियाणं एवं चेव) ज्योतिष्कों के इसी प्रकार (तासिणं विक्खंभसई) उनकी विष्कंभ सूची (विछप्पन्नंगुलसयवग्गपलिभागो पयरस्स) प्रतर का दो सौ छप्पनवां वर्ग प्रमाण खण्ड (वेमाणियाणं एवं चेव) वैमानिकों के इसी प्रकार (नवरं) विशेष (तासि ण सेढीणं विक्संभमूई) उन श्रेणियों की विष्कभसूची (अंगुलवितीय वग्गमूलं तइय बग्गमूलपडप्पन्नं) तृतीय वर्गमूल से गणित अंगुल का द्वितीय वर्गसूल (अहवण्णं) अथवा (अंगुलतइयवग्गमूल. અને કાશ્મણ જેવા તેમના ઔદારિક (वाणमंतराणं जहाँ नेरझ्याणं ओरालिया) बान्व्यन्तन वा नाहीना मोहा (वेउब्वियसरीरगा जहा नेरइयाणं) वैठिय शरीर २i नाना (नवरं) विशेष (तासिर्ण सेढीण) ते श्रेणियोनी (विक्खंभसूई) qिuze सूयी (संखिज्जजोयणसयवग्गलिभागो पयरस्स) प्रत२ना सध्यात शत प्रति मा (मुकिल्लया जहा ओरालिया) भुत शरीर यौहारशीना समान (आहारगसरीरा) माहा२४ शरीर (जहा असुरकुमाराणं) २१। २५९२शुभाशना (तेया कम्मगा) तेस मने भY (जहा एएसिणं चेव वेउब्बिया) 24 तमना वैठिय (जोइसिया एवं चेव) यातिडीना से प्रारे (तासिणं विक्खंभसूई) तेभनी qिom सया (विछप्पन्नंगुलसयबग्गपलिभागो पयरस्स) प्रतरने। मस ७.५नभी प्रभाणु म (वमाणियाणं एवं चेब) वैमानिकाना से प्रभार (नवर) विशेष (तासिणं सेढोणं विक्वंभसूइ) अशियोनी वि०४म सूयी (अंगुल वितीयवग्गमूलं तइयवग्गमूलपडुप्पन्न) तृतीय व भूगयी शुद्धित मतना द्वितीय वर्गभृग (अहवण्णं) 12वा (अंगुल तइयवग्गमूल
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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