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प्रमेवबोधिनी टीका पद १२ सू० ५ पृथिवीकायिकादीनामौदारिकशरीरनिरूपणम् ४६५ तैजसकार्मणानि यथा पृथिवीकायिकानाम्, वनस्पतिकायिकानां यथा पृथिवीकायिकानाम्, नवरं तैजसकार्मणानि यथा औधिकानि तैजसकार्मणानि, द्वीन्द्रियाणां भइन्त ! क्रियन्ति औदारिकाणि शरीराणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! द्विविधानि प्रज्ञप्तानि, बद्धानि च मुक्तानि च, तत्र खलु यानि तावद् वद्धानि तानि खलु असंख्पे यानि, असंख्येयामि रुत्सपिण्यवसर्पिणीभि रपहियन्ते कालतः, क्षेत्रतोऽसंख्येयाः श्रेणयः, प्रतरस्यासंख्येयभागः, तासां श्रेणीनां विष्कम्भसूची असंख्येयाः योजनकोटी कोटयः, असंख्येयानि श्रेणि वर्गमूलानि ॥सू० ५॥ मुक्त शरीर (जहा पुढविकाझ्यागं) जैसे पृथ्वी कायिकों के (आहारय तेया कम्मा)
आहारक, तैजस, कार्मण (जहा पुढविकाइयाणं) जैसे पृथ्वी कायिकों के (वणएफड काइयाणं जहा पुढविकाइयाण) वनस्पति कायिकों के पृथ्वी कायिकों के समान (णवरं) विशेष (तेया कम्मगा जहा ओहिया तेयाकस्मगा) तैजस और कार्मण जैसे समुच्चय तेजस और कार्मण
(वेइंदियाणं भंते ! केवड्या ओरालियसरीरगा पण्णत्ता?) हे भगवन् ! द्वीन्द्रियों के औदारिक शरीर कितने कहे हैं ? (गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता) हे गोतम ! दो प्रकार के कहे हैं (पद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य) बद्ध और मुक्त (तत्थ णं जे ते बधेल्लगा ते णं असंखेजा) उनमें जो बद्ध हैं, वे असंख्यात हैं (असंखेजाहिं उस्सप्पिणि ओलप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ) काल से असंख्यात उत्सर्पिणियों अवसर्पिणियों से अपहृत होते हैं (खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ) क्षेत्र से असंख्यात श्रेणियों (पयरस्स असंखेज्जइ भागे) प्रतर के असंख्यातवें भाग (तासिणं सेढीणं विक्खंभसूई) उन श्रेणियों की विष्कंभ सूची (असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ) असंख्यात कोडा कोडी योजन की पुढविकाइयाणं) रेवा पृथयन (आहारक तेया कम्मा) मा २४, तल्स, आम, (जहा पुढविकाइयाणं) 24 पृथ्वीयिटीना (वणप्फइकाइयाणं जहा पुढविकाइयाणं) पन३५ति आयिन पृथ्वीजयिहाना समान (णवरं) विशेष (तया कम्गा जहा जोहिया तेया कम्मगा) તેજસ અને કાર્મણ જેવા સમુચ્ચય તૈજસ અને કાર્મણ
__ (बेइंदियाणं अंते । केवइया ओरालियसरीरगा पण्णत्ता) हे मावन् ! योना मोह२४ शरी२ ॥ ४ा छ ? (गायमा ! दुविहा पण्णत्ता) 3 गौतम । 2. अना ४ा छे (वद्वेल्लगा य मुक्केल्लगा य) म भने भुत (तत्थ णं जे ते वद्धेल्लगा ते ण अमखेज्जा) तेसामा छे । ससच्यात छे (असंखेज्जाहिं उप्पिणिओसप्पिणिहि अवहींति कालओ) थी असभ्यात उत्सपिये!-मवसाचारथी मप४१ थाय छ (खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ) त्रयी असभ्यात एस (पयरस असंखेज्जाइ भागे) प्रतरना मध्यातमा मा (तासिणं सेढीणं विक्वंभसई) ते ऋणुियानी व सूयि (असंखे. बजाओ जोयणकोडाकोडीओ) आस ज्यात 11-11 योननी (असंवेजाइं सेढिवग्गमूलाई)
प्र० ५९