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________________ ३८६ प्रापनास्त्रे उत्कटिका भेदो यत् खलु मूपाणां वा, मण्डूकाणां वा, तिलशृगाणां वा, एरण्डवीजानां वा, स्फुटता उत्कटिका भेदो भवति तत् स उत्कटिकाभेदः ५, एतेपां खल भदन्त ! द्रव्याणां खण्डभेदेन प्रतरभेदेन चूर्णिकाभेदेन अनुतटिकाभेदेन उत्कटिकाभेदेन च भिद्यमानानां कतरे कतरेभ्योऽल्पा चा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकानि द्रव्याणि उत्कटिकाभेदेन भिद्यमानानि, अनुतटिकाभेदेन भिद्यमानानि अनन्तगुणानि, चूर्णिकाभेदेन भिधमानानि अनन्तगुणानि, प्रतरभेदेन भिद्यमानानि अनन्तगुणानि, खण्डभेदेन भिद्यमानानि अनन्तगुणानि । सू० १०॥ भूषों का (वा) या (मंडूसाण वा) या मंडूषों का (तिलसिंगाण वा) या तिल की फलियों का (मुग्गसिंगाण वा) या मुद्ग की फलियों का (मास सिंगाण वा) या उड़द की फलियों का (एरंड बीयाण वा) या एरंड के बीजों का (फुडिया उक्करिया भेदे भयइ) फटने से उत्कटिका भेद कहलाता है ___(एएसिणं भंते ! व्वाणं) हे भगवन् ! इन द्रव्यों में (खंडाभेएणं पयराभेएणं अणुतडियाभेएणं उक्करियाभेदेण य) खंडभेद से, प्रतरमेद से, चूर्णिका भेद से अनुतटिकाभेद से, उत्कटिका भेद से (भिजमाणाण) भेद को प्राप्त होने वाले (कयरे कयरेहिंतो) कौन किससे (अप्पा वा, यहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? (गोयमा ! सव्वस्थोवाई दव्वाइं उक्करियाभेदेणं भिजमाणाई) उत्कटिका भेद से भिदने वाले द्रव्य सव से कम है (अणुनडियाभेएणं भिजमाणाई अणंतगुणाई) अनुतटिका भेद से भेद को प्राप्त होने वाले अनन्तगुण हैं (चुणियाभेदेणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई) चूर्णिका भेद से भिन्न होने वाले द्रव्य अनन्त गुणा हैं (पयरभिदेणं भिज्जमाणाई A२ (मंडुसाण वा) भएपीना (तलसिंगाण पा) १२ तसनी सिमाना (मुग्गसिंगाण पा) मार भगनी सिगाना (मास सिंगाण वा) अथवा महनी सिगान (एरंडवीयाण वा) म॥२ मे२ ॥ मीना (फुडिया उकरिया भेदे भवइ) पाथी Scalest a याय छे તે ઉત્કટિકા ભેદ કહેવાય છે (एएसिणं भंते ! दव्वाणं) 3 सावन् ! ये द्रव्योमा (खंडाभेएर्ण पपराभेएण, चुणिया भेएणं अणुतडिया भेएणं उक्करिया भेएणं य) म सथी, प्रतर हथी, थूथ सहया, गनुत। मेथी, (भिज्जमाणाणं) महान आत यना। (कयरे कयरे हितो) । नाथी (अप्पा वा बहुया वा, तुल्ला पा विसेसाहिया वा ?) २६५, घया, तुल्य अथवा विशेषाधिक छ १ (गोयमा ! सव्वत्थोवाई व्वाई उकरियाभेएणं भिज्जमाणा) Salestथा हाता द्रव्य माथी माछ। छे (अणुतडियाभेएणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई) मनुताट सहया बहन प्रास थना। अनन्त । छे (चुण्णियाभेएणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई) यदि .या भिन्न थना। द्रव्य मन तग छे (पयराभेएणं मिज्जमाणाई अणंतगुणाई) प्रत२
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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