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________________ ३८४ प्रशापनासूत्रे कः स खण्ड भेदः ? खण्ड भेदो यत् खलु अयः खण्डानां वा, त्रपुखण्डानां वा, ताम्रखण्डानां वा, शीशकखण्डानां वा, रजतखण्डानां वा, जातरूपखण्डानां वा, खण्डकेन भेदो भवति तत स खण्ड भेदः १, तत् कः स प्रतरभेदः ? यत् खलु वंशानां वा, वेतसानां वा, नलानां वा, कदलीस्तम्झानां वा, अभ्रपटलानां वा प्रतरेण भेदो भवति तत् स इतर भेदः २, तत् कः स चूर्णिकाभेदः ? चूर्णिकाभेदो यत् खल तिलचूर्णानां वा, मुद्गचूर्णानां वा, मापचूर्णानां वा, पाँच प्रकार के भेद कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (वडाभेदे) खण्डभेद (पयर भेदे) प्रतरभेद (चुणियाभेदे) चूर्णभेद (अणुतडियाभेदे) अनुतटिकाभेद (उक्करिपाभेदे) उत्कटिकाद _ (से किं तं खंडाभेदे ?) खंडभेद क्या है ? (खंडाभेदे) खंडभेद (जं णं अय. खंडाण वा) जो लोहे के खंडों का (तउखंडाण वा) रांगे के खंडों का (तंवखंडाण वा) तांबे के खंडों को (सीसखंडाण वा) शीशे के खंडों का (रययखंडाण वा) चांदी के खंडों का (जातरूवखडाण वा) अथवा सोने के खंडों का (खंडएणं) खंडक के द्वारा (भेदे भवइ) भेद होता है (से तं खंडाभेदे) वह ग्वंडभेद कहलाता है (से किं तं पयराभेदे?) प्रतरभेद क्या है ? (पयराभेदे) प्रतरभेद (जं णं वंसाण वा) जो वासों का (वेत्ताण वा) अथवा वेतों का (नलाण वा) या नलों का (कदलीथंभाण वा) या कदलीस्तंभों का (अब्भपडलाण वा) या अभ्रक के पड़लों का (पयरेणं भेदे भवइ) प्रतरों से भेद होता है (से तं पयराभेदे) वह प्रतरभेद कहलाता है (से किं तं चुण्णियाभेदे ?) चूर्णिकाभेद क्या है ? (चुण्णिथाभेदे) चूर्णिकाभेद ४२ना ले ४९॥ छ ? (गोयमा ! पंचविधे भेदे पण्णत्ते) 3 गौतम ! पांय प्रा२ना ले ४स छ (तं जहा) तय। 21 ४ारे (खंडाभेदे) भलेह (पयरभेदे) प्रत२ लेह (चुण्णिया भेदे) यूनिट (अणुतडिया भेदे) मनुताट लेह (उक्करिया भेदे) Eि मेह (से किं तं खंडा भेदे १) मई से शुछ (खंडाभेदे) मलेह (जं णं अयखंडाण वा) २ सोढाना ना (तउखंडाण वा) साना माना (तंव खंडाण वा) diमाना माना (सीस खंडाण) शीसाना माना (रययखंडाण वा) याहीना 431 (जातरूवखंडाण वा) मया सोनाना सना (खंडएण) मना बा२। (भेदे भवइ) ले थाय छ (से तं खंडा भेदे) ते 3 सेट ४ पाय छ । (से कि तं पयराभदे १) प्रत२ ले शुछ १ (पयराभेदे) प्रत२ ले (जंणं वंसाण वा) २ वांयाना (वेत्ताण वा) 24240 नेतना (नलाण वा) २२ नाबाना (कदलीयंभाण वा) २२ जना २थ लेना (अन्भपडलाण वा) मगर मना ५ना (पयरेणं भदे भवई) अतशथी से थाय छ (से तं पयराभेदे) ते प्रत२ ले ४वाय छ (मे कि तं चुणिया भेदे) यूनि : शुछ ? (चुणिया भेदे) यूािले ( )
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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