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प्रमेययोधिनी टीका पद ११ सू. ५ भाषाकारणादिनिरूपणम् सूता ८ आख्यायिकानि सूता ९ औपघातिकानिःस्ता १९-'क्रोधो मानं माया लोभा, प्रेम सथैव द्वेपश्च । हास्यं भयम् आख्यायिकम् औपघातियनिःसता दशमी ॥२॥ अपर्याप्तिका खलु भदन्त ! कतिविधा भापा प्रज्ञप्ता ? गौतम ! द्विविधा प्रज्ञप्ता ? तद्यथा-सत्यामृषा, असत्यामृषा च । सत्या मृपा खलु भदन्त ! भाषा अपर्याप्तिका कतिविधा प्रज्ञप्ता ? गौतम ! दश विधा प्रज्ञप्ता, से निकली हुई (माणनिस्लिया) मान से निकली हुई (मायानिस्सिया) साया से निकली हई (लोहनिस्सिया) लोभ से निकली हई (दोसनिस्सिया) द्वेष से निकली हुई (हालणिस्सिया) हास्य से निकली हुई (भयणिस्सिया) भय से निकली हुई (अक्खाइया णिस्सिया) कहानी से निकली हुई (उवघाइयणिस्सिया) उपघात से निकली हुई ___(कोहे भाणे माया लोभे पिज्जे तहेव दोसे य) क्रोध, मान, माया, लोभ, मेम, तथा द्वेष (हास भए अक्खाइय उवघाइय णिस्लिया दसमा) हास्य, भये, आख्यायिका और दशवीं उपघात से निकली हुई भाषा ॥१॥
(अपज्जत्तिया ण भंते ! कइबिहा भाला पण्णता ?) हे भगवन् ! अपर्याप्ति का भापा कितने प्रकार की कही है ? (गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता) हे गौतम! दो प्रकार की कही है (तं जहा) वह इस प्रकार (सच्चा मोला) सत्या भूषा (अस. च्चा मोसा य) और असत्या मृषा
(सच्चा मोसा णं भंते ! भासा अपज्जत्तिया कतिविहा पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! सत्या सृषा अपर्याप्ति का भाषा कितने प्रकार की कही है ? (गोयमा ! दुसविहा पण्णता) हे गौतम ! दश प्रकार की कही है (तं जहा) वह इस प्रकार निसी (माया णिस्सीया) भायाथी निसी (लोहनिस्सिया) सोमयी निगेटी (पेज्ज निस्सिया) प्रेमथा निxणेसी (दोस निस्सिया) देषथा निणेया (हासणिस्सिया) डायथा निणेसी (भयणिस्सिया) अयथी नि४णेसी (अक्खाइया णिस्सिया) वाताथी निणेसी (उवघाइय णिस्सिया ઉપઘાતથી નિકળેલી
(कोहे माणे माया लोभे पिज्जे तहेव दोसे य) छोध, भान, माया, साल, प्रेम तथा देष (हासभये अक्खाइय उवधाय णिस्सिय दसमा) हास्य, लय, माध्यायि। मन शमी ઉપઘાતથી નિકળેલી ભાષા છે ૧ છે
(अपज्जत्तिया णं भंते । कइविहा भासा पण्णत्ता) है सावन् ! अमिता भाषा 2८४२नी ४ी छ ? (गोचमा ! दुविहा पण्णत्ता) गौतम ! मे ५४२नी ही छ (तं जहा) ते २0 प्रारे (सच्चा मोसा) सत्य भूषा (असच्चा मोसा य) भने असत्या भूषा
(सच्चाम साणं भंते । भासा अपज्जत्तिया कतिविहा पग्णत्त। १) 3 मसलन् ! सत्या भूषा ५५याति४ मा ४८६ अनी ४ी छे १ (गोयमा दसविहा पण्णत्ता) गौतम ! ६२ २नी ही छे (त' जहा) ते मा ४ारे (उप्पण्णमिस्सया) उत्पन्न मिश्र (विगय
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