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प्रवोधनी ठीका पद १० सू० २ चरमाचरमाद्यल्पबहुत्वनिरूपणम् अचरिमं चरिमाणिय दोवि विसेसाहिया, चरसंतपसा असंखेजगुणा अचरमं तपसा असंखिजगुणा, चरमंतपएसा य, अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया, एवं 'जाब अहे सत्तमाए, सोहम्मस्स जाव लोगस्स एवं चैव ॥ सू० २ ॥
छाया-अस्याः खलु भदन्त ! रत्नप्रभायाः पृथिव्या अचरमस्य च चरमाणाञ्च चरमान्त प्रदेशानाश्च, अचरमान्तप्रदेशानाञ्च द्रव्यार्थतया प्रदेशार्थतया द्रव्यार्थ प्रदेशार्थतया कतरे कतरेभ्योऽ sल्पावा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकम् अस्या रत्नप्रभायाः पृथिव्याः द्रव्यार्थतया एकम् अचरमम् अचरमाणि असंख्येयगुणानि, अचरम चरमाणि चद्वयान्यपि विशेषाधिकानि, प्रदेशार्थतया सर्वस्तोकाः अस्या रत्नप्रभायाः पृथिव्याः चरमाचरमाचरम आदि का अल्पबहुत्व
शब्दार्थ - ( इमी से णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए अचरमस्स य, चरमाण य, चरममंतपसाण य अचरमतपएसाण य) हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथिवी के अचरम, चरमाण, चरमान्तप्रदेशों और अचरमान्तप्रदेशों में (दव्वट्टयाए पएसष्टृयाए दव्वट्टपएसट्टयाए) द्रव्य की अपेक्षा, प्रदेशों की अपेक्षा और द्रव्य - प्रदेश की अपेक्षा से (करे कमरेहिंतो ) कौन किससे (अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा) अल्प है, बहुत है, तुल्य है अथवा विशेषाधिक है ?
( गोयमा ! ) हे गौतम! (सव्वत्थोवे) सब से कम (इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए) इस रत्नप्रभा पृथ्वी का ( दव्वट्टयाए) द्रव्य की अपेक्षा (एंगे अचर मे ) एक अचर मे है (चरमाई असंखिज्जगुणाई) चरमाणि असंख्यातगुणा हैं (अ रमं चरमाणि य दोषि विसेसाहिया) अचरमं और चरमाणि दोनों विशेषाधिक हैं (एसए) प्रदेशों की अपेक्षा (सव्वत्थोवा) सब से कम ( इमीसे रयणप्पચરમાચરમ આર્કિના અલ્પ બહુવ્
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शब्दार्थ - ( इमीसेणं भंते । रयणापभाए पुढत्रीए अचरमस्स य, चरमाणिय, चरमंतपएसाण य अचरमंतपसाण य) हे भगवान् ! या रत्नप्रभा पृथ्वीना अयरम, यरभाषि, थरमान्त अहेशौ भने अयरभान्त प्रदेशोभा ( दव्वट्टयाए पएसट्टयाए दवदृपएसट्टयाए) द्रव्यनी अपेक्षा अहेशानी अपेक्षा भने द्रश्य अहेशनी अपेक्षाये ( कयरे कयरेहिंतो ) मेरा अनाथ (आपा वा बहुया वा तुल्ला चा विसेमाहिया वो) मय छे, घणा छे, तुझ्य અથવા વિશેષાધિક છે ?
(गोयमा !) हे गीतभ ! (सव्वत्थोवे) मधाथी थेोछा (ईमीसे रयणप्पभार पुढवीए) मा रत्नला पृथ्वीना (दव्वट्टयाए) द्रव्यनी अपेक्षाये (एंगे अचरमे ) ४ अथरभ छे (चरमाई असंखिज्जगुणाई) यरभाणि अस ज्यात जागा छे (अचरमं चरमाणि य दोवि विसेसाहिया) अयरम ने यरभाणि गन्ने विशेषाधिः छे (पएसट्टयाए) प्रदेशांनी अपेक्षाये (सव्वत्थोवा)