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________________ ४०६ प्रशापनास्त्र ४, उपरिमोवेयकाः देवाः संख्येयगुणा : ५, मध्यमवेयकाः देवाः संख्येयगुणा ६, अधस्तनौवेयकाः देवाः संख्येयगुणाः ७, अन्युते कल्पे देवाः संख्येयगुणाः ८, आरणे कल्पे देवाः संख्येयगुणाः ९, प्राणने कल्पे देवाः संख्येय गुणाः १०, आनते वल्पे देवाः संख्येयगुणाः ११, अधः सप्तम्यां पृथिव्यां नरयिकाः अमंख्येयगुणाः १२, पप्ठयां तमायां पृथिव्यां नैरयिकाः असंग्व्येयाणाः १३, सहसारे कल्पे देवा असंख्येयगुणाः १४, महाशुक्रे कल्पे देवाः असंख्येयगुणाः १५, बादर तेजस्कायिक असंख्यातगुणा हैं (अणुत्तरोववादया देवा असंखिजगुणा) अनुत्तरौपपातिक देव असंख्यातगुणा हैं (उवरिमगेविजगा देवा संखिजगुणा) ऊपरी |वेयकों के देव संख्यातगुणा है (मज्झिमगेविजगा देवा संग्विजगुणा) मध्यम वेयकों के देव संख्यातगुणा हैं (हिडिमगेविजगा देवा संखिजगुणा) निचले अवेयकों के देव संख्यात गुणा हैं (अच्चुए कप्पे देवा संखिजगुणा) अच्युत कल्प में देव संख्यात गुणा (आरणे कप्पे देवा संखिजगुणा) आरण कल्प में देव संख्यातगुणा (पाणए कप्पे देवा संखिजगुणा) प्राणत कल्प में देव संख्यातगुणा (अहे सत्तमाए पुढवीए नेरइया असंखिजगुणा) निचली सातवीं नरक पृथ्वी में नारक असंख्यातगुणा (छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइया असंखिजगुणा) छठी तमःप्रभा पृथ्वी में नारक असंख्यातगुणा है (सहस्सारे कप्पे देवा असंखिजगुणा) सहस्रार कल्प में देव असंख्यातगुणा (महासुक्के कप्पे देवा असंखिजगुणा) महाशुक्र कल्प में देव असंदेवा अणंतगुणा) अनुत्त५पाति १ असण्यातगा। छ. (उपरिमगेविजा देवा संखिजगुणा) B५२न अवयव सध्याताय। छ. (मन्जिमगेविजगा देवा संखि जगुणा) मध्यम अवयीन व सन्यातमा छे. (हिटिमगेविजगा देवा संखिज्जगुण.) नीयन। अवयना हे सध्यान छे. (अन्चुग कापे देवा संखिजगुणा) अत्युत ४८५ना हेवे। सभ्यातमा छे. (आरणे कापे देवा संखिजगुणा) गार! ४८५ना हे सण्याग। छे. (पाणए कप्पे देवा संखिजगुणा) प्रात:८५i हे सध्यात (आणए कप्पे देवा सखिज्जगुणा) गानत ४३५मा हेवे। सण्यातगष्य छ (अहे सत्तमाए पुढवीए नेरइया अस खिज्जगुणा) नीयनी सातमी न२४ भूमिमा ना२४ असभ्यातमा छे. (छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइया अस खिज्जगुणा) नीयनी सातमी १२४ भूमिमा ना२४ असभ्यात! छे. (छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइया अस खिजगुण) ७४ी तम:५मा पृथ्वीमा ना२४ मस यात छ. (सहस्सारे कप्पे देवा अस खिज्जगुणा) ससार ४६५मा हेय मस ध्यातग छ. (महासुक्के कप्पे देवा अस खिजगुण.) महाशु४ ४६५i
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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