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________________ प्रज्ञापनासूत्रे ५८ ! पर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, एकेन्द्रियाः पर्याप्तकाः, अनन्तगुणा, सेन्द्रियाः पर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, एतेषां खलु भदन्त ! सेन्द्रियाणाम् पर्याप्तापर्याप्तानां कतरे कतरे - भ्योऽल्पावा, वहुकावा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः सेन्द्रियाः अपर्याप्तका, सेन्द्रियाः पर्याप्तकाः संख्येयगुणाः, एतेषां खलु भदन्त एकेन्द्रियाणाम् पर्याप्तापर्याप्तानाम् कतरे क्तरेभ्योऽल्पा वा, वहुका वा, तुल्या वा विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः एकेन्द्रियाः अपर्याप्तकाः एकेन्द्रियाः पर्याप्ताः संख्येयगुणाः, एतेषां खलु भदन्त । द्वीन्द्रियाणाम् पर्याप्तापर्याप्तानां पर्याप्त विशेषाधिक हैं (ते इंदिया पज्जत्तया) त्रीन्द्रिय पर्याप्त (विसेसाहिया) विशेषाधिक हैं (एगिंदिया पज्जन्ता अनंतगुणा ) एकेन्द्रिय पर्याप्त अनन्तगुणा हैं ( सइंदिया पज्जत्तगा) सेन्द्रिय-इन्द्रियवान् पर्याप्त (विसेसाहिया) विशेषाधिक हैं । (एएसि णं भंते! सइंदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं) हे भगवन् ! इन सेन्द्रिय पर्याप्त और अपर्याप्तों में (करे करेहितो) कौन किस से (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम! (सम्वत्थोवा सइंदिया अपज्जत्तमा) सब से कम सेन्द्रिय अपर्याप्त हैं ( सइंदिया पज्जत्तगा) सेन्द्रिय पर्याप्त (संखेज्जगुणा ) संख्यातगुणा हैं । (एएसि णं भंते! एगिंदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कमरे करेहिंतो ) हे भगवन् ! इन पर्याप्त और अपर्याप्त एकेन्द्रियों में कौन किससे (अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा) सबसे कम (एगिंदिया) एकेन्द्रिय विशेषाधिः छे (एगिंदिया पज्जत्तागा आणंतगुणा) येडेन्द्रिय पर्याप्त अनन्तगुणा छे (सइंदिया पज्जत्तगा) सेन्द्रिय इन्द्रियणा पर्यास (विसेसाहिया) विशेषाधि छे. ( एसिणं भंते । सइदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं) हे भगवन् । सा सेन्द्रिय पर्याप्तो ने अपर्याप्तोभा (कयरे कयरेहिंतो ) आयु अनाथी (अप्पा वा, बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ) महय, धागा, तुझ्य अथवा विशेपाधि छे ? ( गोयमा 1 ) हे गौतम । ( सव्वत्योवा सइंडिया अपज्जत्तगा ) मधाथी सोछा सेन्द्रिय व्यपर्याप्त छे (सेइदिया पज्जत्तगा) सेन्द्रिय पर्याप्त ( संखेज्जगुणा ) सभ्यात | (एसिणं भंते एगिटियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो) भगवन् । या पर्यास ने अपर्याप्त भेडेन्द्रियामा आए अनाथी (अपा बा बहुया वा तुल्लायां वा विसेसाहिया वा) सहय, घएगा, तुझ्य अगर विशेषाधिपु छे ? (गोमा) डे गौतम (सव्वत्थोवा) नधाथी मोछा (एगिदिया) मेन्द्रिय (अपज्जत्ता)
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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