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प्रमेयवोधिनी टीका पद ५ सू.६ नैरयिकाणां पर्यायनिरूपणम्
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नन्ताः पर्यशः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! जघन्यस्थितिको नैरयिको जवन्यस्थितिकस्य 'नैरविकरय द्रव्यार्थतया तुल्यः, प्रदेशार्थतया तुल्यः, अवतार्थतया चतुःस्थानपतितः स्थित्वा तुल्यः, वर्णगन्धरसस्पर्शपर्यवैः त्रिभिः, ज्ञानैः, त्रिभिरज्ञानैः, त्रिभिर्दर्शनेः पद्स्थानपतितः एवमुत्कृष्टस्थितिकोऽपि, अजघन्यानुत्कृष्टस्थितिकोsपि, नवरं स्वस्थाने चतुःस्थानरतितः, जवगुण हालकानां मदन्त ! भंते ! एवं बुच्चइ - जहण्णठियाणं नेरड्या अनंता पज्जवा पण्णत्ता ?) किस कारण हे भगवन् ! ऐसा कहा है कि जघन्य स्थिति वाले नारकों के अनन्त पर्याय है ? (गोगया ! जणटिइए नेरइए जहण्णठिइयस्स नेरइयस्स दव्वट्टयाए तुल्ले) हे गौतम! जघन्य स्थितिवाला नारक जघन्य स्थितिवाले दूसरे नारक से द्रव्य की दृष्टि से तुल्य है | ( पसाए तुल्ले) प्रदेशों की अपेक्षा से तुल्य है ( ओगाहणार चउद्वाणवडिए) अवगाहना की अपेक्षा से चतुःस्थान पतित है (टिईए तुल्ले) स्थिति से तुल्य है (वण्ण-गंधर सफास-पज्जवेर्हि) वर्ण, गंध, रस, स्पर्श के पर्यायों से (तिहिं नाणेहिं) तीन ज्ञानों से (तिर्हि अण्णाणेहिं) तीन अज्ञानों से (तिर्हि दंसणेहिं) तीन दर्शनों से (छडाणवडिए) षद् स्थानपतित है ( एवं उक्कोठिए वि) इसी प्रकार उत्कृष्ट स्थितिवाला भी (अजहण्णमणुकोसठिए वि) अजघन्य - अनुत्कुष्ट अर्थात् मध्यम स्थितिवाला भी इसी प्रकार (नवरं ) विशेष यह कि (सहाणे) स्वस्थान में (चउडावडिए) चतुःस्थान पतित है ।
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छे (सेकेट्टे भंते । एवं बुच्चइ - जहणठिइयाणं नेरइयाण अणता पज्जवा पण्णत्ता ?) या ४२ हे भगवन् ! सेभ उ छे धन्य स्थितिवाणा नारना अनन्तपर्याय छे ? ( गोयमा ! जहणठिइए नेरइए जहणटिइयस्स नेरइयरस दव्वट्टयाए तुल्ले) डे गौतम | धन्य स्थितिवाणा ना२४ धन्य स्थितिवाजा मीन नार४थी द्रव्यनी दृष्टि तुल्य छे (पएसठुयार तुल्ले) प्रदेशानी अपेक्षा तुझ्य छे ( ओगाहट्टयाए चाणवडिए) गवगाहुनानी अपेक्षाये यतु स्थान पतित छे. (ठिईए तुल्ले ) स्थितिथी तुझ्य छे (वण्ग-गंध-रस- फास पज्जवेहिं) वर्षा गंध, रस, स्पर्शना पर्यायोथी (तिहि नाणेहिं) त्रषु ज्ञानोथी (तिहिं अण्णाणेहिं) त्रशु अज्ञानाथी ( तिहिं दंसणेहिं) त्र दर्शनाथी (छट्ठाण वडिए) पदस्थान पतित छे ( एवं उक्कोसठिइए वि) भेट अरे उत्कृष्ट स्थितिवाजा पशु (अजहण्ण मणुफोन ठिइए वि) मन्नधन्य अनुत्सृष्ट अर्थात् मध्यम स्थितिवाणा या अरे (नवरं ) विशेष मा छे (सहाणे) स्वस्थानमा ( चट्टानवहित ) यनु स्थान पतित है,
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