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प्रमेयबोधिनी टोका पद ५सू.०२ नरायकादाना पयायानरुपणन्
छाया-नैरयिकाणां भदन्त ! कियन्तः पर्यवाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! अनन्ताः पर्यवाः प्रज्ञताः, तत् केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते-नैरयिकाणाम् अनन्ताः पर्यवाः पज्ञताः ? गौतम ! नैरविको नैरयिकस्य द्रव्याथैतया तुल्यः प्रदेशार्थतयातुल्यः अवगाहनार्थतया स्यात् हीनः, स्यात् तुल्यः, स्यात् अभ्यधिकः, यदा हीनः असंख्येयभागहीनो वा, संख्येयसागहीनो वा, संख्येयगुणहीनो चा, असंख्येयगुणहीनो वा, अथ अभ्यधिक:-असंख्येयभागाभ्यधिको वा, संख्येयभा
रयिकादि पर्याय वक्तव्यताशब्दार्थ-(नेरइयाण ले ! केवइया पज्जवा पण्णता ?) भगवन् नारकों के कितने पर्याय हैं ? (गोयमा ! अणंता पज्जा पणत्ता) हे गौतम ! अनन्त पर्याय हैं (से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइयाणं अणंता पज्जवा पणता ?) किस हेतु से भगवन् ! ऐसा कहा कि नारकों के अनन्त पर्याय हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (नेरइए नेरझ्यस्स) एक नारक दूसरे नारक ले (चट्ठयाए तुल्ले) द्रव्य की अपेक्षा से तुल्य है (पएसट्टयाए तुल्ले) प्रदेशों की अपेक्षा से तुल्य है (ओगाहजष्टयाए लिथ हीणे, लिय तुल्ले, सिय अभहिए) अवगाहना की अपेक्षा ले स्यात् हीन, स्थान तुल्य और स्यात् अधिक है (जइ) यदि (हीणे) हील है (अलंखिज्जईभागहीणे वा संखेज्जइभाग होणे वा) संख्यात लाण हीन है या असंख्यातमाग हीन है (संखेज्जगुणहीणे वा) या संख्यातगुण हीन है (असंखेज्जगुणहीणे वा) या असंख्यात गुणहीन है (अह अलहिए) यदि अधिक है (असंखेज्जइभागमभ
નિરયિકાદિ પર્યાય વક્તવ્યતા हाथ-(नेरइयाणं भंते केवइया पज्जवा पण्णत्तो ?) Bान् नाना डेरा पर्याय छ १ (गोयमा । अणंता पज्जवा पण्णत्ता) गौतम | मनन्त पर्याय हाय छ (सेकेणठेणं भंते एवं बुचइ नेरइयाणं अणता पज्जवा पण्णत्ता) डे सापन् ! ४या हेतुथी ये यु ना२४ीना सनन्त पर्याय छ ? (गोयमा ) हे गौतम ! (नेर इए नेरइयस्स) मे ना२४ गीत ना२४थी (दबट्टयाए तुल्ले) द्रव्यनी अपेक्षा तुल्य छ (पएसट्टयाए तुल्ले) प्रशानी अपेक्षागे तुझ्य छ (ओगाहणट्टयाए सिय होणे, सियतुल्ले, लिय अन्महिए) भगाउनानी अपेक्षा श्यात् डीन स्यात्तुक्ष्य स्यात्
पि४ ५ (जइ) या (हीण) डीन (अमंखिजइभाग हीगे वा म खेज्जइभाग होणे वा) सज्यात सामान छ २२ २मच्यात मा डीन छ (स खेजगुणहीणे वा) या सयातशुष हीनय छ (अस खज्ज गुणहीग या) 4. म. Vातगुण होनहाय छ (अह अमहिए) यहि मधि हाय. (अस खेजडभागमन्भ