________________
प्रबोधिनी टीका पद ५ सू.०१ पर्याय मेदनिरूपणम्
५४१
,
,
असंख्येयाः दिक्कुमाराः; असंख्येयाः वायुकुमाराः, असंख्येयाः स्तनितकुमाराः, असंख्येयाः पृथिवीकायिकाः असंख्येयाः अष्कायिकाः असंख्येयाः तेजः कायिकाः, असंख्येयाः वायुकायिकाः, अनन्ताः वनस्पतिकायिकाः, संख्येयाः द्वीन्द्रियाः असंख्येया: त्रीन्द्रियाः, असंख्येयाश्चतुरिन्द्रियाः, असंख्येयाः पञ्चे - न्द्रियतिर्यग्योनिका, असंख्येयाः मनुष्याः, असंख्येयाः वानव्यन्तराः, असंख्येयाः ज्योतिष्काः, असंख्येयाः वैमानिकाः, अनन्ताः सिद्धाः, तद् एतेनार्थेन
कुमारा) असंख्यात दीपकुमार हैं (असंखिज्जा उदहिकुमारा) असंख्यात उदधिकुमार हैं (असंखिज्जा दिसीकुमारा) असंख्यात दिशाकुमार हैं (असंखिज्जा वाउकुमारा) असंख्यात वायुकुमार हैं (असंखिज्जा थणियकुमारा) असंख्यात स्तनितकुमार हैं (असंखिज्जा पुढविकाइया) असंख्यात पृथ्वीकायिक (असंखिज्जा आउकाइया) असं " ख्यात अष्कायिक (असंखिज्जा तेउकाइया) असंख्यात तेजस्कायिक (असंखिज्जा वाउकाइया (असंख्यात वायुकायिक (अनंता वणफइकाइया) अनन्त वनस्पतिकायिक (असंखिज्जा वेइ दिया) असंख्यात दीन्द्रिय (असंखिज्जा तेइ दिया) असंख्यात त्रीन्द्रिय (असंखिज्जा
रिंदिया) असंख्यात चौइन्द्रिय (असंखेज्जा पंचिदियतिरिक्ख जोणिया) असंख्यात पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक (असंखिज्जा मणुस्सा) असंख्यात मनुष्य (असंखिज्जा वाणमंतरा) असंख्यात वानव्यन्तर (असंखेज्जा जोइसिया) असंख्यात ज्योतिष्क (असंखेज्जा वैमाणिया)
डुंभार छे. (अस ंखिज्जा उदहीकुमारा) असण्यात अधिभार छे. (अस खिज्जा दिसीकुमारा) अस ंज्यात हिशाहुमार छे. (अस खिज्जा वाउकुमारा) असण्यात वायुभार छे (अस खिज्जा थणियकुमारा) असण्यात स्तनितभार छे.
(अस ंखिज्जा पुढविकाइया) असण्यात पृथ्वी अयि छे. (अस खिज्जा आउकाइया) असण्यात अच्छायि छे. (अस खिज्जा तेउकाइया) असण्यात ते? - २४यि४ छे. (अस'खिज्जा वाउकाइया) असं ज्यात वायुअयि (अनंता वणप्फइकाइया) અનન્ત વનસ્પતિકાયિક છે.
(अस ंखिज्जा वेइंदिया) असण्यात द्वीन्द्रिय (असं खिज्जा तेइंडिया) गमज्यात श्रीन्द्रिय (असं खिज्जा चउरिन्दिया) असण्यात यार इन्द्रिय (अस खिज्जा पंचि दियतिरिक्खजोशिया) असण्यात येन्द्रियतिर्यश्योनि छ। सेय है (अज्जा मस्सा) असं ज्यात मनुष्य (असं खिज्जा वाणमन्तर ) मध्यान व्यानर (अस खेज्जा जोइसिया) सज्यात ज्योति (अस खेज्जा वैमाणिया) असभ्यात