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प्रमेयसोधिनी टीका पद ४ सू.०३ पृथिवीकायादीनां स्थितिनिरूपणम् ४७१ गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कृष्टेन.त्री,णि वर्पसहस्राणि, अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतमः ! जघन्येनापि उत्कृप्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम्,- उत्कृष्टेन त्रीणि . वर्षसहस्राणि अन्तर्मुहूर्तोनानि, (जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं) जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की (पज्जत्तयाण पुच्छा ?) पर्याप्तकों की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा) हे गौतम !' (जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं) जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की।। . . ..
(वायरवाउकाइयाणं पुच्छा ?), दादर - वायुकायिकों.,की स्थिति कितनी कही है ?, (गोयमा) हे गौतम , (जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिनि वाससहस्साई) जघन्य अन्तर्मुहर्त की, उत्कृष्ट तीन हजार वर्ष की (अपज्जत्तयाणं पुच्छा) अपर्याप्तों को स्थिति कितनी ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेश वि उक्कोलेण वि अंतोसुहत्तं) जघन्य: -भी, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त को (पजत्तयाणं.पुच्छा) पर्याप्तकों की कितनी (गोयमा), हे गौतम ! (जहण्णेणं, अंतोमुहुत्त , उक्कोसेणं तिन्नि वाससहस्साई) जघन्य, अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तीन हजार वर्ष की है। .. . ..... . . iHY भने उत्कृष्ट पY-, मन्तभुइतनी (पज्जत्तयाण पुच्छा-१) पानीस्थिति 'नी २७॥ ? (गोयमा ).. गौतम । (जहण्णेण वि. उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं)
धन्य ५ स ट -HY अन्तभुत नी .. . , . ... ' (वायर वाउकाइयाणं 'पुच्छा)' 'मा६२ पायिनी स्थिति सी छ ? (गोयमा) र गौतम । (जहण्णेणं 'अ तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि वाससहस्साई)
धन्य मन्तभुइतनी कृष्ट हुन२ वर्षनी (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) भपातानी स्थिति दी छे ? (गोयमा ) 3 गौतम ! (जपणेण वि उक्कोसेण, वि .अंतोमुहुत्तं)- ४धन्य अने. कृष्ट ५ ,सन्तभु इतनी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्याप्तीनी · स्थिति टक्षी छ..? (गोयमा ।) हे गौतम ! (जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण तिन्नि , वाससहस्साई धन्यमन्तभुतनी, अष्ट અન્તર્મુહૂર્ત ઓછા ત્રણ હજારવર્ષની 17 (वणस्सइ काइयाणं भंते । केवइय, कालं ठिई पण्णत्ता ?) वनस्पति, यिअनी लान् । ट। सुधा स्थिति ४ी छ ? (गोयमा ) 3 गौतम ! (जहण्ोणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं, दसवाससहम्साई धन्य मन्तभुइतनी स्ट Aug२ वर्षनी, (अपज्जत्तयाणं, पुच्छा ?) मर्यासानी डेटली,? (गोयमा !