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प्रमैयबोधिनी टीका पद ४ सू.०२ देवदेवीनां स्थितिनिरूपणम् पर्याप्तिकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन दशवर्षसहस्राणि अन्तर्मुहूतानानि, उत्कृष्टेन देशोनं पल्योपमम् अन्तर्मुहूर्तोनम्, एवम् एतेन अभिलापेन औधिकापर्याप्तक पर्याप्तकसूत्रत्रयम् देवानाञ्च देवीनाश्च ज्ञातव्यं यावत् स्तनितकुमाराणां यथा नागकुमाराणाम् ॥
टीका- अत्रापि देवानां देवीनाच अपर्याप्तावस्थायास् अन्तर्मुहूर्तमात्रं स्थिति सद्भावात् पर्याप्तावस्थायाम् अन्तर्मुहूर्तन्यूना स्थितिः सर्वत्रैव जघन्येनापि अवसेया, शेषव्याख्यानं निगदसिद्धम् ॥सू० २॥ वि अंतोमुहुत्त) जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त (पज्जत्तियाणं पुच्छा ?) पर्याप्तक सुवर्णकुमारी देवियों के विषय में पृच्छा ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाइ, उक्कोसेणं देसूर्ण पलिओवसं अंतोमुहुत्तूण) जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम देशोन पल्योपम की।
(एवं) इस प्रकार (एएणं अभिलावणं) इसी अभिलाप से-इन्हीं शब्दों में (ओहिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तय सुत्तयं) ओधिक अर्थात सामान्य, पर्याप्तक और अपर्याप्तक के सूत्र (देवाण य देवीण य) देव और देवियों के विषय में (नेयव्वं) जानने चाहिए (जाव थणिय कुमाराणं) स्तनित कुमारों पर्यन्त (जहा नागकुमाराणं) नागकुमारों के समान । ___टीकार्थ-यहां भी देवों और देवियों की अपर्याप्त अवस्था में अन्तर्मुहूर्त की स्थिति है, अतएव पर्याप्त अवस्था में अन्तर्मुहूर्त कम स्थिति कही गई है। शेष व्याख्या शब्दार्थ के अनुसार समझना चाहिए ॥२॥ हेवियाना विषयमा छ। ? (गोयमा !) हे गौतम । (जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तणाई उक्कोसेणं देसूणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तणं) धन्यमन्तभुत माछा દેશ હજાર વર્ષની, ઉત્કૃષ્ટ અન્તમુહૂર્ત ઓછા દેશન પલ્યોપમની છે.
_ (एवं) मारे (एएणं अभिलावणं) २मलिहाथी---2०४ Avोमा (ओहिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयसुत्तयं) मौधिर पर्थात् सामान्य, पास मन. मर्यातना सूत्र (देवाण य देवीणय) हेवे। मने वियोना विषयमा (नेयव्बं) organ नये (जाव धणियकुमाराणं) स्तनितमा२। -त (जहा नागकुमाराणं) नागभानासमान.
ટીકાર્ય–આહિં પણ દે અને દેવિયેની અપર્યાપ્ત અવસ્થામાં અન્તમુહૂર્તની સ્થિતિ છે. તેથીજ પર્યાપ્ત અવસ્થામાં અંતમુહૂતી ઓછી સ્થિતિ કહેલી છે. શેષ વ્યાખ્યા, શબ્દાર્થના અનુસાર સમજવી જોઈએ પારા