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________________ प्रमैयबोधिनी टीका पद ३ सू.३९ परमाणुपुद्गलानामल्पवहुत्वम् ३८५ यगुणा, ते चैव प्रदेशार्थतया संख्येयगुणाः, असंख्येयप्रदेशिकाः स्कन्धाः द्रव्यार्यतया असंख्येयगुणाः, ते चैत्र प्रदेशार्थतया असंख्येयगुणाः, एतेषां खलु भदन्त ! एकप्रदेशावगाढानाम, संख्येयप्रदेशावगाढानाम्, असंख्येयप्रदेशावगाढानाम् च पुद्गलानां द्रव्यार्थतया, प्रदेशार्थतया, द्रव्यार्थप्रदेशार्थतया कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या बा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः एकप्रदेशावगाढाः पुद्गलाः द्रव्यार्थतया, संख्येयप्रदेशावगाढाः पुद्गलाः द्रव्या(संखेज्जपएसिया खंधा व्वट्ठयाए संखेज्जगुणा) संख्यातप्रदेशी स्कंध द्रव्य से संख्यातगुणा हैं (ते चेव पएसट्टयाए संखेज्जगुणा) वे ही प्रदेशों की अपेक्षा संख्यातगुणा हैं (असंखेज्जपएसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा) असंख्यातप्रदेशी स्कंध द्रव्य से असंख्यातगुणा हैं (ते व पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा) वे ही प्रदेशों की अपेक्षा असंख्यात गुणा हैं। (एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (एगपसोगाढाणं) एक प्रदेश में अवगाढ (संखेज्जपएसोगाढाणं) संख्यात प्रदेशों में अवगाढ (असंखेज्ज पएसोगाढाण य) और असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ (पोग्गलाणं) पुद्गलों में (घट्टयाए) द्रव्य से (पएसठ्याए) प्रदेशों से (व्वपएसट्टयाए) द्रव्य और प्रदेशों से (कयरे) कौन (कयरेहितो) किससे (अप्पा वा बाहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला वठ्ठयाए) सब से कम एक प्रदेश में अवगाढ पुद्गल अपेक्षाथी मनता। छ. (संखेज्जपएसिया खंधा व्वट्ठयाए संखेज्जगुणा) सभ्यात अशी २४न्य द्रव्यनी अपेक्षा सध्यातम छे. (ते चेव पएसट्टयाए संखेज्जगुणा) ते प्रशानी अपेक्षा सध्यातरा छे. (असंखेज्जपएसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा) २२२स च्यात प्रदेशी ४५ द्र०यथी मसण्यातमा छे. (ते चेव पएसटाए असंखेजगुणा) ते प्रशानी अपेक्षा असण्यातमा छे. (एएसिणं भंते) में भगवान मा (एगपएसोगाढाणं) २४ प्रदेशमा मसाढ (संखेज्जपएसोगाढाणं) सज्यात प्रदेशमा २५वाढ (असंखेज्जपएसोगाढाण य) मन मसण्यात प्रदेशमा २८ (पोग्गलाणं) पुमi (दब्वट्ठयाए) द्रव्यथा (पएसट्टयाए) प्रशाथी (दव्वटुपएसट्टयाए) द्रव्य मने प्रशोथी (कयरे) आर (कयरेहितो) जोनाथी (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेमाहिया वा ?) २६५, पधारे, तुल्य विशेषाधि४ छे. (गोयमा !) गौतम ! (सव्वत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला दब्वट्ठयाए) प्र.४९
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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