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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.३९ परमाणुपुद्गलानामरूपबहुत्वम् २८३ जहा एगपएसोगाढाणं भणियं तहा भाणियवं, अवसेसा फासा जहा वण्णा तहा भाणियव्वा, दारं २६ ॥सू० ३९॥ छाया-एतेषां खलु भदन्त ! परमाणुपुद्गलानां संख्येयप्रदेशिकानाम्, असंख्येयप्रदेशिकानाम्, अनन्तप्रदेशिकानां च स्कन्धानां द्रव्यार्थतया प्रदेशार्थतया द्रव्यार्थप्रदेशार्थतया कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेपाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोका अनन्तप्रदेशिकाः स्कन्धाः द्रव्यार्थतया, परमाणुपुद्गलाः द्रव्यार्थतया अनन्तगुणाः, संख्येयप्रदेशिकाः स्कन्धाः द्रव्यार्थतया संख्येयगुणाः, असंख्येयप्रदेशिकाः स्कन्धाः द्रव्यार्थतया असंख्येयगुणाः, सर्व परमाणु पुद्गल का अल्पबहुत्व शब्दार्थ-(एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (परमाणु पोग्गलाणं) परमाणु पुद्गलों (संखेज्जपएसियाणं) संख्यात प्रदेश वालों (असंखेज्ज पएसियाण) असंख्यात प्रदेश वालों (अणंत पएसियाण य) और अनन्त प्रदेश वालों (खंधाणं) स्कंधों में (चट्टयाए) द्रव्य की अपेक्षा से (पएसट्टयाए) प्रदेशों की अपेक्षा से (दव्वट्ठपएसट्टयाए) द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से (कयरे) कौन (कयरेहितो) किस से (अप्पा वा यहया वा तुल्या वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेपाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा अणंत पएसिया खंधा दवट्टयाए) द्रव्य की अपेक्षा सब से कम अनन्त प्रदेशी स्कंध हैं (परमाणु पोग्गला दवट्टयाए अणंतगुणा) द्रव्य की अपेक्षा परमाणु पुद्गल अनन्तगुणा हैं (संखेज्जपएसिया खंधा व्वट्ठयाए संखेजगुणा) द्रव्य से પરમાણું યુગલનું અલ્પ બહત્વ साथ-(एएसिणं भंते । ) 3 भगवन् २॥ (परमाणुपोग्गलाणं) ५२भा पुगतो (संखेज्जपएसियाणं) सण्यात प्रदेशका (असंखेज्जपएसियाण) अस. ज्यात प्रदेशा॥ (अणंतपएसियाण य) मने मनप्रशवाय (खंधाणं) २४.धोमां (दवट्ठयाए) द्रव्यनी अपेक्षा (पएसट्टयाए) प्रशानी अपेक्षाथी (दव्वटुपएसट्टयाए) द्रव्य भने प्रदेशानी अपेक्षाथी (कयरे) ४ (कयरेहितो) छीनाथी (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा) २६५, वधारे तुल्य मा विशेषाधि४ छ ? (गोयमा) गौतम (सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा दव्यद्वयाए) द्रव्यनी अपेक्षाथी साथी यौछु मन प्रदेशी २४.५ छे. (परमाणुपोग्गला व्वट्ठयाए अणंतगुणा) द्र०यनी अपेक्षाथी ५२मा पुस ' । छे. (संखेज्जपए सिया खंधा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा) द्रव्यथी सण्यात प्रदेश २४५ सध्याताए।
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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