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________________ अजीवों के पर्यायका निरूपण ७७४-७८१ परमाणु पुद्गलके पर्यायका निरूपण ७८१-८२२ द्वि प्रदेशी पुद्गलके पर्यायका निरूपण ८२३-८६३ जघग्यगुणकालादि पुद्गलके पर्यायका निरूपण ८६३-९०६ सामान्य स्कंधके पर्यायका निरूपण ९०६-९२८ छट्ठापद अधिकार विषयको दिखानेवाली संग्रहिणी गाथा ९२९-९३१ उपपात एवं उद्वर्तना का निरूपण ९३१-९४१ विषेष उपपातका निरूपण ९४१-९६८ विषेष उद्वर्तना का कथन ९६८-९७० सान्तर निरन्तर उपपात द्वारका निरूपण ९७१-९८४ नैरयिकादिकों के एकसमय से उपपातका निरूपण ९८५-१०१६ उरपरिसादि के एकसमय से उपपातका निरूपण १०१७-१०५२ असुरकुमारों के उपपातका निरूपण १०५२-१०७५ पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकादिकों के उपपातका निरूपण १०७५-१०८९ वैमानिक देवों के उपपातका निरूपण १०८९-११०६ नैरयिकोंके उद्वर्तनाका निरूपण ११०६-११११ असुरकुमारादि के उद्वर्तना का निरूपण ११११-११२२ तिर्यग्योनिकादि के उद्वर्तना का निरूपण ११२२-११३६ नैरयिकों के परभविकायुष्यका निरूपण ११३६-१९४८ आयुबन्धका निरूपण ११४८-१९६२ ६ ॥ समाप्त॥
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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