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________________ प्रज्ञापनासूत्र १५० यिकानाम्, सूक्ष्मनिगोदानाम् वादराणाम् वादरपृथिवीकायिकानाम्, वादराष्कायिकानाम्, वायरतेजःकायिकानाम्, वादरवायुकायिकानाम्, बादरवनस्पतिकायिकानाम्, प्रत्येकशरीरवादरवनस्पतिकायिकानाम् वादर निगोदानाम् स कायिकानाञ्च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः वादरत्रसकायिकाः, बादरतेजः कायिका असंख्येयजीवों (हुम पुढवीकाइयाणं) सूक्ष्म पृथिवीकायिकों (सुहुम आउकाइयाणं) सूक्ष्म अकायिकों (सुम तेउकाइयाणं) सूक्ष्म तेजस्कायिकों (सुम वाउकाइयाणं) सूक्ष्म वायुकायिकों (सुहुम वणस्स इकाइयाणं) सूक्ष्म वनस्पतिकायिकों (सुहुम निगोयाणं) सूक्ष्म निगोदों (वायराणं) atदर जीवों (वायरपुढवीकाइयाणं) बादर पृथ्वीकायिकों (बायरआउकाइया) बादर अकायिकों (बायर तेडकायाणं) वादर तेजस्कायिकों (चार वाउकाइयाणं) वादर वायुकायिकों (बायर वणस्सरयाण) चादर वनस्पतिकायिकों (पत्तेयसरीरबायरवणस्स इकाइयाणं) प्रत्येक शरीर बादर बनस्पतिकायिकों (बायर निगोयाणं) बादर निगोदों (तसकाइयाण य) और कायिकों में (कयरे कयरेहिंतो ) कौन किस से (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? ( गोयमा !) हे गौतम! ( सव्वत्थोवा वायरतसकाइया) सब से कम बादर कायिक हैं (बायर तेउकाइया असंखेज्जगुणा ) यादर સમ-ખાદર જીવાનુ અલપ બહુત્વ शब्दार्थ-(एएसि णं भंते ।) डे भगवन् । मा ( सुहुमाणं) सूक्ष्मलवा (सुहुमपढवीकाइयाणं) सूक्ष्म पृथ्वी अयि । ( सुहुम आउकाइयाणं) सूक्ष्मायि। (मुहुमवेउकाइयाणं) सूक्ष्म तेनस्सायिना (सुहुमवाङकाइयाणं) सूक्ष्मवायुप्रायि । (सुहुमघणस्सइकाइयांणं) सूक्ष्भ वनस्पतिअयि। (सुहुमनिगोयाणं) सूक्ष्मनिगोहे। (वायराणं) भादरल े। (वायरपुढत्रीकाइयाण) माहर पृथ्वी अयि (बादरआउकाइयाण) मार ४जाय। (बायरतेङकाइयाणं) जाहर तेनायि। (वायरवा उकाइयाणं) महर वायुष्टायि । (वायरवणस्सइकाइयाणं) महर वनस्पतिप्रायि । (पत्तेयसरीरखायरवणस्सइक इयाणं) प्रत्येक शरीर माहर वनस्पति अयि है। (वायरनिगोयाणं) बाहर निगोहो (तसकाइयग्णय) भने त्रभ्रुष्ठायिभां ( कयरे कयरेहिंतो) अणु नाथी (अप्पावाबहुया वा तुला वा विसेस हिया वा १) महथ, धा, तुल्य अगर विशेषाधिः छे ? (गोयमा ।) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा धायरतसकाइया) मधाथी सोछा माहर नसायि छे (वायरतेङकाइया असंखेज्जगुणा ) माहर तेनस्य असण्यातगया है.
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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