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________________ -१२६ प्रथापना वादरतेजाकायिकाः पर्याप्तकाः, अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, एतेषां खल्लु भदन्त ! वादरवायुकायिकानां पर्याप्तापर्याप्तकानां कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः वादरवायुकायिकाः पर्याप्तकाः, वादरवायुकायिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येय गुणाः, एतेपां खलु भदन्त ! वादरवनस्पतिकायिकानां पर्याप्तापर्याप्तकानां कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः वादरवनस्पतिकौन किससे (अप्पा वा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा १) अल्प, वहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं (गोयमा) हे गौतम ? (सन्ध'स्थोवा बायरतेउकाइया पज्जत्तया) सब से कम बादर तेजस्काय के पर्याप्त हैं (अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) अपर्याप्तक असंख्यातगुणा हैं (एएसि णं भंते !) हे भगवन इन (बायरवाउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं) बादर वायुकाय के पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में (कयरे कयरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसा. हिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेपाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा वायरवाउकाइया पज्जत्तया) सब से कम यादर वायुकाय के पर्याप्त हैं (बायरवाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्ज. गुणा) बादर वायुकाय के अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं । (एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (वायरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं) पाद वनस्पतिकाय के पर्याप्तको और अपर्याप्तकों में से (कयरे कयरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा पहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया (गोयमा !) हे गौतम । (सव्वत्यो वा वायर वाउकाइया पज्जत्तया) माथा माछा मा६२ ते४२४यना पर्याप्त छ (अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) અપર્યાપ્તક અસંખ્યાતગણું છે. . (एएसि णं भंते ) मापन् ! मा (वायर वाउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं) मार वायुयना पर्यात भने २५५र्यातीमाथी (कयरे कयरेहितो) । 'नाथी (अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा?) अ८५, धा, तुझ्य અગર તે વિશેષાધિક છે? (गोयमा ) 3 गौतम । (सब्बत्योवा वायर वाउकाइया) सौथा माछ। मा४२ पायु४ि पर्याप्त छ, (वायरवाठकाइया अपज्जत्तया असंखेन्गुणा) मा६२ पायुधाय , मर्यात असण्यातगा। छ, (एएसि णं भंते !) 3 भगवन् मा (वायरवणस्सइकाएयो णं पज्जत्तापज्जत्ताणं मा२ वनस्पतिया पर्याप्त भने अपर्यातमा (कयरे कयरेहितो) आय डीनाथी (अप्पा वा बहुया वा, तुल्ला
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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