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प्रमैयबोधिनी टीका पद ६ सू.१२ चैमानिकदेवोपपातनिरूपणम् भूमगगन्भवतियलगुस्से हितो उक्वजति, किं पलत्तसंजय सम्मदिट्टी पजतपहिलो अपलत्तसंजयसम्मदिली पजत्तएहितो उववज्जति ? गोयमा ! अपसत्तसंजयसम्मदिट्टीपज्जत्तएहितो उववजंति, नो पसत्तसंजयलम्सदिली पजन्तएहितो उववज्जति, जइ अपमत्तसंजयसम्मदिटीपज्जतएहिंतो उबवजंति, किं इड्डिपत्तसंजएहितो अणिडिपत्तसंजएहितो उपवज्जंति ? गोयमा ! दोहितो उबवज्जति, दारं ॥ १२ ॥ ___ छाया-वैमानिकाः खलु भदन्त ! केल्य उत्पद्यन्ते ? किं नैरयिकेभ्यः किं तिर्यग्योनिकेभ्यः ? मनुष्येभ्यः देवेभ्यः उपपद्यन्ते ? गौतम ! नैरयिकेभ्यः उप. पद्यन्ते, पञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, मनुष्येस्य उपपद्यन्ते, नो देवेभ्य उपपद्यन्ते, एवं सौधर्मेशानकदेवा अपि अणितव्याः, एवं सनत्कुमारदेवा अपि
वैमानिक देवों का उत्पात शब्दार्थ-(माणिया णं भंते ! कओहितो उपवज्जति ?) हे भगवन् ! वैमानिक देव किनसे उत्पन्न होते हैं ? (कि नेहएहितो) क्या नारकों से (तिरिक्खजोणिएहितो) तिर्यंचों ले ? (अणुस्लेहितो) मनुष्यों से ? (देवेहितो) देवों से ? (उववज्जति) उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (णो णेरइएहितो उक्वज्जंति) नारकों से उत्पन्न नहीं होते (पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति) पंचेन्द्रिय तिर्यचों से उत्पन्न होते हैं (मणुस्सहिंतो उववज्जति) मनुष्यों ले उत्पन्न होछे हैं (णो देवेहितो उववज्जति) देवों से नहीं उत्पन्न होते (एवं) इसी प्रकार) सोहनीलाणगदेवा वि भणियव्या) सौधर्म
વૈમાનિક દેવે ઉપપાત शहाथ-(वेमाणिया णं भंते । कओहिं तो उबवजंति ?) भगवन् ! वैमानित हेव यांचा यावी त्पन्न थाय छे ? (कि नेरहएहितो) शुनाथा (तिरिक्खजोणिएहितो) तिय याथी (मणुस्सेहि तो) मनुष्याथी (देवेहिंतो) वाथी (उबवज्जंति) उत्पन्न थाय छ ? (गोयमा ') गौतम । (णो नेरइएहितो उव उज्जंतिं ?) नाथा 6पनि नथी यता (पंचिंदियतिरिक्खजोणिपहितो उववज्जति) ५येन्द्रिय तिय याथी उत्पन्न थाय छे. (मणुरसेहि तो उववज्जति) मनुष्याथी उत्पन्न याय छे. (णो देवहितो उववज्जति ?) हेवेथा नया पन्न यता.
(एवं) 2 प्रहारे (सोहम्मीसाणग देवा वि भाणियबा) सीधम भने शान