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________________ ८१ प्रमेयवोधिनी टीका प्र. पद १ सू.७ जीवादीनां वर्णादिना परस्परसंवेधः स्निग्ध स्पर्श परिणमनवाले भी हैं ( लुक्वफासपरिणया वि) रूक्ष स्पर्श परिणमन वाले भी हैं । ( संठाणओ) संस्थान की अपेक्षा से (परिमंडलसंठाणपरिणया वि) परिमंडल संस्थान परिणमनवाले भी हैं (वह संठाणपरिणया वि) वृत्त संस्थान परिणामवाले भी हैं (तंस संठाण परिणया वि) त्रिकोण संस्थान परिणामवाले भी हैं (चउरंस संठाणपरिणया वि) चतुष्कोण संस्थान परिणामवाले भी हैं (आययसंठाण परिणया चि) आयत संस्थान परिणमन वाले भी हैं । (जे) जो ( तित्तरसपरिणया) तिक्तरस परिणमानवाले है (ते) वे (वण्णओ) वर्ण से ( कालवण्णपरिणया वि) काले वर्ण परिणमनवाले भी हैं (नीलवण्णपरिणया वि) नील वर्ण परिणमन वाले भी हैं (लोहिय वण्णपरिणया वि) लाल वर्ण परिणमनवाले भी हैं ( हालिद्दवण्ण परिणया वि) पीत (पीला) वर्ण परिणामवाले भी हैं (सुकिल्लaण्णपरिणया वि) शुक्ल वर्ण परिणमनवाले भी हैं । (गंधओ) गंध से (सुभिगंधपरिणया वि) सुगंध परिणमन वाले भी हैं (दुभिगंधपरिणया वि) दुर्गंध परिणमनवाले भी हैं । (फासओ) स्पर्श से (कक्खडफासपरिणया वि) कर्कश स्पर्श छे (णिद्धफासपरिणया वि) स्निग्ध - त्रिष्णा स्पर्श परिणामी (लुक्खफासपरिणया वि) ३क्ष स्पर्श परिलाभ वाणां पशु छे. (संठाणओ) संस्थाननी अपेक्षाओ (परिमंडलर्सठाणपरिणया वि) परिभउस संस्थान परिणाम वाणां पशु छे (वट्ट संठाणपरिणया वि) वृत्त - गोण संस्थान परिणाम वाणां यछे (तंस संठाणपरिणया) त्रिषु संस्थान परिणाम वाणां (चरंसठाण परिणया वि) तुष्णु संस्थान परिणाम वाणां पशु छे (आययसंठाणपरिणया वि) भायत संस्थान परिणाम वाजा पशु छे. (जे) ने (तित्तरसपरिणया) तित रस परिणाम वाणां हे (ते) तेथेो (वण्णओ) वर्णुथी ( कालवण्णपरिणया वि) अणा रंगना परिणाम वाणां यछे (नीलवण्णपरिणया वि) नीसवाणु परिणामी पशु छे (लोहियवण्णपरिणया वि) सास रंगना परिलाभ वाणां पशु छे (हालिद्दवण्णपरिणया वि) पीजा रंगना परिणाम वाणां पाछे (सुक्किल्लवण्णपरिणया वि) शु४स वार्षा परिणाम वाणां यछे. (गंधओ) गंधथी (सुभिगंधपरिणया वि) सुगंध परिणाम वाणां पशु छे (दुभिगंधपरिणया वि) दुर्गध परिणाम वाणां हे (फासओ) स्पर्शथी (कक्खडफासपरिणया वि) ४४श स्पर्श' परिणाम वाणां प्र० ११
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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