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________________ -७२४ प्रशापनासो णाम् च चतुष्पष्टीनाम् आत्मरक्षकदेवसाहत्रीणाम्, अन्येपाञ्च बहूनाम् दाक्षिणात्यानाम् देवानां देवीनाश्च आधिपत्यम् पौरपत्यम् यावद्विहरति कुत्र खलु भदन्त ! औत्तराहाणाम् असुरकुमाराणाम् देवानां पर्याप्तापर्याप्तानाम् स्थानानि प्रज्ञप्तानि ? कुत्र खलु भदन्त औत्तराहाः असुरकुमारा देवाः परिवसन्ति ! गौतम ! जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य उत्तरेण अस्याः रत्नप्रभायाः पृथिव्याः अशीतिसहस्रोत्तरयोजनशतसहस्रबाहल्याया उपरि एकं योजनसहस्रम् अवगाह्य, अधपतियों का (चउण्ह य चउसट्टीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं) चार चौसठ हजार अर्थात् दो लाख छप्पन हजार आत्मरक्षक देवों का (अन्नेसिं च) अन्य (बहूर्ण) बहुत (दाहिणिल्लाणं) दक्षिण दिशा के -(देवाणं) देवों का (देवीण य) और देवियों का (आहेवच्चं) अधि'पतित्व (पोरेवच्चं) अग्रेसरपन (जाव) यावत् (विहरइ) विचरता है । .. (कहि णं भंते ! उत्तरिल्लाणं असुरकुमागणं देवाणं पञ्चत्तापञ्चताणं ठाणा पण्णता?) हे भगवन् ! उत्तर दिशा के पर्याप्त और अपर्याप्त असुरकुमार देवों के स्थान कहां कहे हैं ? (कहि णं भंते ! उत्तरिल्ला अस्तुरकुमारा देवा परिवति ?) हे भगवन् ! उत्तर दिशा के असुरकुमार देव कहां निवास करते हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (जंबुद्दीचे दीवे) जम्बूद्वीप नामक द्वीप में (मंदरस्स पव्वयस्स) मन्दर पर्वत के (उत्तरेणं) उत्तर में (इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर जोयणसयसहस्सबाहल्लाए) एक लाख अस्सी हजार योजन मोटी इस रत्नप्रभा पृथ्वी के (उपरिं) ऊपर (एगं जोयणसहस्स) एक हजार य चंउसट्ठीण आयरक्खदेवसाहस्सीण) या२ यास डलर अर्थात् मापन २ माम२३४ हेवाना (अन्नेसि च) अन्य (बहूग) ५९॥ (दोहिणिल्लाणं) दक्षिा शान (देवाणं) हेवन। (देवीणय) मन हेवीयाना (आहेवच्चं) मधिपतित्व (पोरेवच्च) मस२पार (जाव) यावत् (विहरइ) पियरे छे. (कहिणं भंते । उत्तरिल्लाणं असुरकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पणत्ता ?) 3 मावन् । उत्तर दिशा पर्यास मने अपर्याप्त मसु२४भार हेवाना स्थान ४यां ह्या छ ? (कहिणं भंते ! उत्तरिल्ला असुरकुमारा देवा परिवसति ?) गवन् । उत्तर दिशा मसु२शुभा२४३ ४ निवास ४२ छ ? (गोयमा !) है गौतम (जंबुदीवे दीवे) गुदीप नाम४ द्वीपमा (मंदरस्स पव्वयस्स) ४२ पता (उत्तरेणं) उत्तरभा (इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सवाहल्लाए) मे मेसी डार योन मोटी २॥ २त्नप्रा पृथ्वीना (उवरिं) ६५२ (एग जोयणसंहस्सं) मे १२ योन (ओगाहित्ता) Aqाना रीन
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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