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________________ प्रमेयवोधिनी टीका द्वि. पद २ सू.१५ पञ्चन्द्रियतिरश्चां स्थानानि ६६३ छाया--कुत्र खलु भदन्त ! पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पर्याप्तापर्याप्तकानां स्थानानि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! ऊर्ध्वलोके तदेकदेशभागे, अधोलोके तदेकदेशभागे, तिर्यग्लोके अवटेषु तडागेषु नदीषु हूदेषु वापीपु पुष्करिणीषु दीर्घिकासु गुञ्जालिकामु सरस्सु सरःपङ्क्तिकासु सर सरः पङ्क्तिकार रिलेषु विलपङ्क्तिकामु उज्झरेषु निर्झरेषु चिल्ललेषु पल्वलेपु वप्रेषु द्वीपेषु समुद्रेषु, सर्वेषु चैव जलाशयेषु जलस्थानेषु, अत्र खलु पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पर्याप्तापर्याप्तकानां स्थानानि प्रज्ञप्तानि । उपपातेन लोकस्यासंख्येयभागे, समुदघातेन लोकस्या संख्येयभागे स्वस्थानेन सर्वलोकस्यासंख्येयभागे ॥ सू० १५ ॥ शब्दार्थ-(कहि णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पजत्तापजत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ?) भगवन् ! पर्याप्त और अपर्याप्त पंचेन्द्रिय तिर्यचों के स्थान कहां कहे गए हे ? (गोयमा !) हे गौतम ! (उडलोए तदेक्कदेसभाए) ऊर्ध्वलोक में उसके एक देश-भाग में (अहोलोए तदेकदेसभाए) अधोलोक में उसके एक देश-भाग में (तिरियलोए) तिर्छ लोक में (अगडेसु) कूपों में (तलाएसु) तालावों में (नईसु) नदियों में (दहेसु) हृदो में (वावीसु) वावडियों में (पुग्वरिणीसु) पुष्करिणियों में (दीहियासु) लंबी वावडियों में (गुंजालियासु) गुंजालिकाओं में (सरेसु) सरोवरों में (सरपंतियासु) पंक्तिबद्ध सरोवरों में (सरसरपंतियासु) सर-सरपंक्तियों में (बिलेसु) बिलों में (बिलपंतियासु) पंक्तिवद्ध बिलों में (उज्झरेसु) उज्झरों में (निज्झरेसु) झरनों में (चिल्ललेसु) चिल्लरों में (पल्ललेसु) पोखरों में (वप्पेसु) केदारों में (दीवेसु) द्वीपों में (समुद्देसु) समुद्रों में (सव्वेसु चेव जलासएसु) सभी जला साथ-(कहि णं भंते । पंचिंदियत्तिरिक्खजोणिथाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ?) भगवन् । पर्याप्त मने अपर्याप्त पायेन्द्रिय तिय याना स्थान ¥यां घi छ ? (गोयमा ।) 3 गौतम (उड्ढलोए तदेक्कदेसभाए) Belawi तना में प्रदेश लामा (अहोलोए तदेक्कदेसभाए) मो सोभा तना से मामा (तिरियलोए) तिf सभा (अगडेसु) सुवासभा (तलाएसु) तामा (नईसु) नही मामा (दहेसु) मा (वावीसु) पावडीयोमा (पुक्खरिणीसु) ५४रि शामा (दीहियासु) सामी पापडीयामा (गुंजालियासु) Yaleमामा.(सरेस) सशवराम (सरपंतियासु) ५तिम स भा (सरसर पंतियासु) स२-१२ पतियोमi (विलेसु) मीसामi (विलपंतियासु) ५ति ५५ मीसम (उज्झरेस) GNभा (निज्झरेसु) नियमां-१२यमा (चिल्ललेसु) सिरोमो (पल्ललेसु) योमरोमा (बप्पेसु) मा (दीबेसु) दीयामा (समुद्देसु) समुद्रीमा (सव्वेसु चेव
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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