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________________ shrafat टीका प्र. पद १ सू. ३९ समेदवीतरागदर्शनार्थनिरूपणम् કેટલ जोगि केवल खोण कसायवीय रागदंसणारिया य अहवाचरिमसमय सजोगि केवल खीणकसायवीयरागदंसणारिया य अचरिमसमय सजोगि केवल खीणकसायवीयरागदंसणा रिया य से संजोग के लिखाण कसायवीयरागदं सणारिया । से किं तं अजोगि केवल खीणकस ( यवीयरागदंसणारिया ? अजोगिकेवलिखीणक सायवीय रागदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पढमसमय अजोगिकेवलि खीणक सायवीयरागदं सणारि या य, अपढमसमय अजोगि केवल खीणकसातवीय रागदंसणारिया य | अहवा - चरिमसत्रय अजोगिकेवलि खीणकसायवीयरागणारया य, अवरिमसमय अजोगि केवल खीणकसायवीयरागदंसणारिया य । से तं अजोगि केवल खीणकसायवीयरांगदंसणारिया | से त्तं केवलि खीणकसायवीयरागदंसणारिया । से तं खीणक सायवीयरागदंसणारिया । से तं दंसणारिया ||८||सू० ३९॥ छाया - अथ के ते वीतरागदर्शनार्याः ? वीतरागदर्शनार्या द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-उपशान्तकपायवीतराग दर्शनार्याथ, क्षीणकपायवीतरागदर्शनार्याश्च । अथ के ते उपशान्तकपात्रीतरागदर्शनार्याः ? उपशान्तकपायवीतरागदर्शनार्याः शब्दार्थ - ( से किं तं वीघरागदंसणारिया ?) वीतर रोगदर्शनार्य. कितने प्रकार के हैं ? (दुविहा पण्णत्ता तं जहा ) दो प्रकार के कहे हैं यथा ( उवसंतकसायवीयरागदंसणारिया य खीणक सायवीयरागदंसणारिया ) उपशान्त कषाय वीतरागदर्शनार्य और क्षीणकषाय वीतरागदर्शना (से किं तं वसंतक सायवीयरागद सणारिया ?) उपशान्त हार्थ (से किं तं वीयरामदंसणारिया १) वीतराग दर्शनार्य डेटा प्रा२ना छे ? (वीयर (गाणारिया) वीतराग दर्शनार्य (दुविहा पण्णत्त । तं जहा ) मे अारना उद्यानेभडे ( उब संतकसायवीय रागदंसणारिया य खीणकसाय वीरागसणारया य) उपशान्त उपाय वीतराग दर्शनय भने क्षीणु उपाय વીતરાગ દના ( से कि तं उवसंतकसा यवीयरागणा सारिया ?) उपशान्त उपाय वीतराग
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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