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प्रशापनास्त्रे जो सुत्तमहिज्जतो, सुएण ओगाहई उ सम्मत्तं । अंगेण बाहिरेणं व, सो सुत्तइत्ति णायव्यो ॥६॥ एगपएऽणेगाई, पयाइं जो पसरई उ सम्पत्तं । उदएब तेल्लबिंदू, सो बीयरुइत्ति नायव्यो ॥७॥ सो होइ अभिगमलई, सुयनाणं जस्स अत्थओ दिटुं । एकारस अंगाई, पइन्नगा दिदिवाओ य ॥८॥ दवाण सवभावा, सम्वपमाणेहि जस्स उवलद्वा। सव्याहिं नयविहीहि, वित्थाररुइत्ति नायम्बो ॥९॥ दसणनाणचरित्ते, तबविणए सव्वसमिइ गुतीसु । जो किरियाभावरुई, सो खलु किरियारुई नाम ॥१०॥ अणभिगहिय कुदिट्टी, संखेव रुइत्ति होइ नायव्यो। अविसारओ पवयणे, अणभिग्गहीओ य सेसेसु ॥११॥ जो अस्थि कायधम्मं खलु चरित्तधम्मं च।। सदहइ जिणाभिहियं, सो धम्मरुइत्ति नायव्वो ॥१२॥ परमत्थ संथवो वा, सुदिट्ट परमत्थ सेवणा वा वि। वावन्नकुदंसणवज्जणा य सम्मत्त सदहणा ॥१३॥ निस्संकिय निक्कंखिय, नियितिगिच्छा अमूढदिट्री य। उववूहथिरीकरणे, वच्छल्लपभावणा अटु ॥१४॥
से तं सरागदंसणारिया। छाया-अथ के ते दर्शनार्याः ? दर्शनार्या द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथासरागदर्शनार्याश्च वीतरागदर्शनार्याश्च । अथ के ते सरागदर्शनार्याः ? सरागदशे
शब्दार्थ-(से किं तं दसणारिया ?) दर्शनार्य कितने प्रकार के हैं ? (दुविहा पण्णत्ता) दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (सरागदंसणारिया य वीयरागदसणारिया य) सरागदर्शनार्य और वीतराग___हाथ-(से किं तं दसणारिया ?) A नाय 320 २छ ? ((सणारिया) शनाय (दुविहा पणण्ता) मे ४२ना ह्या छ (तं जहा) तेगा मा प्रशारे छ (सराग